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06-Jul-2020 07:35 PM
PATNA :शिक्षक नियोजन के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक नियोजन के लिए सिर्फ दो वर्षीय डीएलएड पास प्रशिक्षित अभ्यार्थियों के मामले में विचार करने का राज्य सरकार के आदेश को भेदभाव वाला और असंवैधानिक बताया है।
राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा पिछले 17 दिसंबर को जारी किए गए एक सरकारी आदेश के जरिए यह निर्णय लिया गया था कि सूबे के प्राथमिक स्कूलों (क्लास एक से पांच तक) के शिक्षक नियोजन में केवल दो वर्षीय डीएलएड पास प्रशिक्षित शिक्षकों की ही नियुक्ति की जाएगी और डीएलएड पास अभ्यार्थियों के अनुपलब्धता में ही स्नातक अभ्यार्थियों के नियोजन पर विचार किया जाएगा।
पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस आदेश को प्रथम दृष्टया भेदभावपूर्ण बताते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद -14 का उल्लंघन भी पाया। न्यायमूर्ति डॉ० अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने हेमन्त कुमार और अन्य अभ्यार्थियों की ओर से दायर रिट याचिका को पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के उस विभागीय आदेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया है। इसके साथ ही, राज्य सरकार को इस मामले में आगामी 7 सितम्बर तक जवाब देने का भी निर्देश दिया गया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर वकील यदुवंश गिरी ने कोर्ट को बताया कि राज्य के प्राथमिक स्कूलों में क्लास एक से पांचवी तक के शिक्षकों के नियोजन के हेतु संबंधित नियमावली में स्नातक अभ्यार्थियों को अर्हताधारी बताया गया है, लेकिन ऐसे अभ्यार्थियों को अनिवार्य रूप से 6 महीने का सेतु पाठ्यक्रम से प्रशिक्षित होना ज़रूरी है । वहीं, गैर - स्नातको के लिए एनसीटीइ से मान्यता प्राप्त संस्थानों से दो वर्षीय डीएलएड पास कर प्रशिक्षित होना ज़रूरी है, लेकिन नियोजन नियमावली यह कहीं नहीं कहती कि नियोजन सिर्फ और सिर्फ दो वर्षीय डीएलएड पास अभ्यार्थियों के लिए ही विचारणीय होगा।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को प्रथम दृष्टया विधि संगत बताते हुए राज्य सरकार के 17 दिसम्बर के आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई आगामी 7 सितम्बर को की जाएगी।