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12-Feb-2021 09:05 PM
PATNA : बिहार और देश मे युवाओं के लिए रोजगार एक बड़ी समस्या बनी हुई है. स्कूल से लेकर कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक की पढ़ाई के बाद बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर युवा आज भी रोजगार के लिए दर दर की ठोकरें खाने को विवश हैं. शिक्षित बेरोजगारों से आगे बढ़कर उच्च शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. ऐसे युवाओ की समस्या के लिए राज्य और केंद्र सरकार के पास कोई ठोस नीति या कार्यक्रम नहीं होने का ही फायदा उठाने की कोशिश बिहार में विपक्ष की सबसे पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और उसके प्रमुख युवा नेता तेजस्वी यादव ने उठाने की कोशिश की.
बिहार के युवाओं की संवेदना और भावनाओं को उन्होंने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया और चुनाव प्रचार के दौरान महती जनसभाओं में लोगो से उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने और सरकार बनाने की अपील करते हुए शंखनाद कर दिया कि उनकी सरकार बनी तो दस लाख युवाओ को सीधे रोजगार देने की व्यवस्था करेंगे.
तेजस्वी यादव के इस आह्वान के बाद बिहार के युवाओ ने उनकी पार्टी को समर्थन देने का मन बनाया की. इसी बीच भाजपा की तरफ से 19 लाख लोगों को रोजगार देने का एलान कर दिया. युवाओ के रोजगार को चुनाव में सत्ता की सीढ़ी बनाने और युवाओं की भावना को अपनी तरफ मोड़ने को ले घोषणाओं पर घोषणाएं करने वाली पार्टियों के सत्ता में आने के बाद उसपर अमल नही किया जाना चिंता का विषय है.
राजनैतिक दलों द्वारा युवाओ को रोजगार देने के चुनाव पूर्व किये गए वादों पर कार्य नही करना चिंता जनक है. बिहार विधान सभा आम निर्वाचन 2020 की शुरुआत हुई तो युवाओ की निगाहें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के पुत्र एवं वर्तमान के उभरते युवा नेता तेजस्वी प्रसाद यादव पर टिक गया. तेजस्वी ने चुनाव के दौरान अपनी सभाओं में एकाएक बिहार के युवाओं के लिए दस लाख नौकरी देने का ऐलान कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी.
तेजस्वी के इस एलान से अधिकांश राजनैतिक पार्टियों के मुख्यालय और बड़े नेताओं के नींद उड़ गए. चुनाव के दौरान चुनावी सभाओं में तेजस्वी का एलान युवाओं के अंदर नई उम्मीद जगा रहा था और यही वजह था कि उनकी सभाओं में बड़ी संख्या में युवाओ की भीड़ जुट रही थी. युवाओं के आंखों में रोजगार के सपने पल रहे थे.
चुनाव के परिणाम आये तो सत्ता के शीर्ष तक पहुंचते पहुंचते तेजस्वी रह गए लेकिन सुकून की बात यह थी कि 19 लाख रोजगार देने का वादा करने वाली भाजपा और एनडीए की सरकार बन गई. बिहार के उन युवाओ की उम्मीदों पर तो पानी जरूर फिर गया, जिन्होंने दस लाख नौकरी की आश में तेजस्वी को सत्ता में लाने के लिए उन्हें वोट दिया. किन्तु उन युवाओं के चेहरे पर खुशी जरूर खिल उठी जिन्होंने 19 लाख नौकरी की आश में राज्य में कमल खिलाये, लेकिन उन युवाओ का भविष्य कब खिलेगा ये आज बहुत बड़ा प्रश्न बना हुआ है ?
आखिर सवाल ये है कि क्या युवा और युवाओ का सवाल सिर्फ चुनावी कारण बनकर ही रह जायेगा या कोई संवेदनशील सरकार युवाओ के भविष्य को धयान में रखकर ठोस और कारगर कदम उठायेगी.