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बिहार के तर्ज पर पूरे देश में होनी चाहिए जातीय जनगणना, बोले पप्पू यादव..आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ऊपर उठाने के लिए यह जरूरी

बिहार के तर्ज पर पूरे देश में होनी चाहिए जातीय जनगणना, बोले पप्पू यादव..आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ऊपर उठाने के लिए यह जरूरी

02-Oct-2023 09:50 PM

By First Bihar

PATNA: महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर बिहार सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है। जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने इस रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ऊपर उठाने के लिए बिहार में जातीय गणना कराया गया और आज इसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी गयी। 


पप्पू यादव ने कहा कि जातीय गणना से वैसे लोगों को लाभ मिलेगा जो समाज के निचले पायदान पर हैं। ऐसे लोगों को मुख्य धारा में लाने का काम किया जाएगा। जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा नया नहीं है यह मांग पहले से होती रही है। पप्पू यादव ने कहा कि ऊंची जाति के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जबसे मंडल कमीशन लागू हुआ तब से अत्यंत पिछड़ा और दलित को आरक्षण का कितना लाभ मिला यह किसी से छिपी नहीं है। ओबीसी से दो सेक्रेटरी भी नहीं है ना ही एक भी दलित बन पाया। पूरे भारत में 27 प्रतिशत एससी-एसटी होने के बावजूद 9 करोड़ आदिवासी समाजों में 2000 लोगों को भी नौकरी नसीब नहीं हो पाई है। 


आजादी के इतने वर्षों बाद भी आज दलित,एसटी-एससी लगभग 80 प्रतिशत भूमिहीन हैं। ये लोग बेरोजगार हैं शिक्षा नहीं हैं भूमिहीन भी हैं। पप्पू यादव ने कहा कि मुगल काल के पहले भारत में अनाज और सर प्लस धन था लेकिन आज स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना ना किसी जाति से मतभेद के लिए करायी गयी और ना किसी जाति के अधिकार को छीनने के लिए हुआ। जो निषाद, केवट, मल्लाह, नोनिया, चंद्रवंशी, धानुक, शर्मा, जोलहा, ततबा, शाह, पासवान, मुसहर जैसी जातियां हैं और जो मुसलमान में गरीब हैं उनकी आज क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं है। क्या इन्हें आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक और सामाजिक रूप से हिस्सेदारी मिली है? आखिर विकास का मापदंड क्या है? इन्ही जातियों को मुख्य धारा में लाने और सरकारी योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचाने के लिए बिहार में जातीय गणना कराया गया। पप्पू यादव ने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि बिहार की तर्ज पर जातीय जनगणना पूरे देश में करायी जानी चाहिए।