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15-May-2020 07:45 AM
By PRIYARANJAN SINGH
SUPAUL : बिहार के स्वास्थ्य मंत्री अपने विभाग को लेकर लाख दावे कर लें, लेकिन अक्सर इसकी सच्चाई सामने आती ही रहती है. कोरोना संकट के दौरान सुपौल में हुई एकघटना ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी है. इन सब के बीच सवाल यह है कि लोग कोरोना के संक्रमण से तो उबर जाएंगे, लेकिन सिस्टम के संक्रमण से कैसे बाहर निकल पाएंगे.
ताजा मामला जिले के त्रिवेणीगंज रेफरल अस्पताल की है. जहां प्रसव कराने पहुंची गर्भवती महिला को चिकित्सकों ने डांट कर भगा दिया. न तो उसे अस्पताल से एम्बुलेंस मिला और न ही उसका ईलाज किया गया. पैदल ही घर के लिए निकली महिला सड़क किनारे तड़पती रही लेकिन किसी ने इस मामले में संज्ञान नहीं लिया. लेकिन जब मीडिया की नजर उस महिला पर पड़ी तो आनन फानन में उसे त्रिवेणीगंज एसडीओ ने अपनी गाड़ी से त्रिवेणीगंज अस्पताल भेजा. जहां उसका इलाज जारी है.
त्रिवेणीगंज प्रखंड के पिलुआहा गांव की रहने वाली महिला विनीता देवी को उसके घरवाले प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद त्रिवेणीगंज आस्पताल ले कर आए. जहां डॉक्टरों ने उसका ईलाज करने के वजाय डांट कर भगा दिया. जिसके बाद महिला को लेकर उसके परिजन अपने गांव की ओर पैदल ही चलने लगे. कुछ दूर जाने के बाद महिला जब चलने में असमर्थ हो गयी तो त्रिवेणीगंज प्रखंड कार्यालय के आगे सड़क किनारे तड़पने लगी. जिसके बाद त्रिवेणीगंज एसडीओ को स्थानीय लोगों ने सूचना दी ,तब जाकर महिला का ईलाज शुरू हो सका. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने ईलाज करने के वजाय उसे डांट कर अस्पताल से भगा दिया. वहीं इस मामले में अस्पताल के उपाधीक्षक का बेतुका बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि मरीज को इंतजार करने को कहा गया था लेकिन वो चली गयी. इश हालत में अस्पताल को डॉक्टर उसके पीछे-पीछे तो नहीं भाग सकते थें.