Bihar Crime News: दहेज के लिए विवाहिता की पीट-पीटकर हत्या, 11 महीने पहले ही हुई थी शादी Bihar News: मूर्ति विसर्जन के दौरान युवक को लगी गोली, जहानाबाद से PMCH रेफर Bihar News: सरस्वती पूजा के लिए पैसे कम पड़े तो 4 बच्चों ने मिलकर एक घर में की चोरी, 3 दिन बाद पकड़े गये चारों मानवता शर्मसार: अस्पताल के शौचालय में बहाया नवजात बच्ची की लाश, सिर फंसने पर टॉयलेट का सीट तोड़कर निकाला गया बाहर Bihar Politics: एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन से पहले संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस, दरभंगा-मधुबनी में घटक दल के प्रवक्ताओं ने किया पीसी Delhi Exit Poll Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के Exit Poll में आए चौंकाने वाले नतीजे, आठ एजेंसियों ने बताया किनकी बन रही सरकार Bihar Crime: अवैध संबंध से गुस्साएं पति ने कर दी पत्नी हत्या, पुलिस ने किया चौंकने वाला खुलासा Rahul Gandhi In Patna: पटना में पोस्टर लगवा कर पूर्णिया निकल गये पप्पू यादव, राहुल गांधी के पिछले दौरे में हुई भारी फजीहत से लिया सबक? Bihar Politics: राहुल गांधी ने स्व. जगलाल चौधरी का सम्मान किया या अपमान ? मंच पर पुत्र भूदेव चौधरी को भी नहीं मिली जगह...मिलने से भी रोका गया Rahul Gandhi In Patna: कांग्रेस का वोट बढ़ाने या घटाने आये थे राहुल गांधी? दो हजार लोग भी नहीं जुटे, जिसकी जयंती उसका नाम भी नहीं बोल पाये
19-Sep-2019 09:16 PM
PATNA: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष और एमएलसी केदार नाथ पाण्डेय और जनरल सेक्रेटरी शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने राज्य में नियोजन के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति पर तत्काल रोक लगाने की मांग सीएम नीतीश कुमार से की है. साथ ही उन्होंने मांग करते हुए कहा है कि राज्य में नियमित वेतनमान पर योग्य और कुशल शिक्षक की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की जाय.
संघ के नेताओं ने कहा कि कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित नई शिक्षा नीति के मुताबिक शिक्षामित्र, पारा शिक्षक, संविदा शिक्षक या कम वेतन पर नियोजन या नियुक्ति नहीं करने की स्पष्ट अनुशंसा है. साथ ही शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य करने की सख्त मनाही भी है. शिक्षा नीति के इस प्रारूप में आयोग की साफ अनुशंसा है कि जब तक शिक्षकों को आकर्षक, सम्मानजनक और गरिमापूर्ण वेतनमान नहीं होगा तब तक शिक्षा में गुणात्मक विकास असंभव है.
केंद्र सरकार की तरफ से नई शिक्षा नीति को लेकर मांगे गए सुझाव पर माध्यमिक शिक्षक संघ की स्पष्ट अनुशंसा है कि शिक्षा को पंचायती राज से मुक्त करने और 18 साल के बच्चों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (ए) के तहत मौलिक अधिकार प्रदान करने, और शिक्षा अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों को भी शामिल करने संबंधी प्रावधान और स्थान संवैधानिक संशोधन को अनिवार्य किया जाना चाहिए.