BIHAR NEWS : पटना के बड़े होटल को ईमेल से मिली धमकी, इलाके में मचा हडकंप Train Accident: सुबह-सुबह दर्दनाक हादसा, महाकुंभ से लौट रहे तीन लोगों की ट्रेन से कटकर मौत BSEB Inter Exam: बदल गया बिहार इंटर परीक्षा का नियम, सेंटर जाने से पहले छात्र रखें इस बात का ध्यान Bihar Crime News: दहेज के लिए विवाहिता की पीट-पीटकर हत्या, 11 महीने पहले ही हुई थी शादी Bihar News: मूर्ति विसर्जन के दौरान युवक को लगी गोली, जहानाबाद से PMCH रेफर Bihar News: सरस्वती पूजा के लिए पैसे कम पड़े तो 4 बच्चों ने मिलकर एक घर में की चोरी, 3 दिन बाद पकड़े गये चारों मानवता शर्मसार: अस्पताल के शौचालय में बहाया नवजात बच्ची की लाश, सिर फंसने पर टॉयलेट का सीट तोड़कर निकाला गया बाहर Bihar Politics: एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन से पहले संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस, दरभंगा-मधुबनी में घटक दल के प्रवक्ताओं ने किया पीसी Delhi Exit Poll Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के Exit Poll में आए चौंकाने वाले नतीजे, आठ एजेंसियों ने बताया किनकी बन रही सरकार Bihar Crime: अवैध संबंध से गुस्साएं पति ने कर दी पत्नी हत्या, पुलिस ने किया चौंकने वाला खुलासा
04-Aug-2022 08:31 PM
PATNA : बिहार के एक जज के खिलाफ FIR दर्ज कर फंसी पुलिस ने आनन फानन में एफआईआर पर किसी तरह की जांच या कार्रवाई करने पर रोक लगा दिया है. बिहार पुलिस अब कोर्ट में ये आवेदन देगी कि उससे गलती हो गयी है और इस FIR को रद्द कर दिया जाये. पुलिस ने पटना हाईकोर्ट के कड़े तेवर के बाद यू टर्न मारा है. पटना हाईकोर्ट में आज बिहार के डीजीपी ने खुद पेश होकर ये भरोसा दिलाया. वैसे हाईकोर्ट ने फिर सवाल पूछा- नेताओं के खिलाफ दर्ज FIR को वापस लेने में तो कोई देर नहीं होती, जज के मामले में क्यों देर हो रही है.
बता दें कि मामला मधुबनी जिले के झंझारपुर सिविल कोर्ट में एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ पुलिस द्वारा FIR दर्ज करने का है. 18 नवंबर 2021 को झंझारपुर कोर्ट में जज के चेंबर में घुसकर पुलिस थानेदार औऱ एक और दरोगा ने एडीजे प्रथम अविनाश कुमार की पिटाई कर दी थी. थानेदार ने जज पर पिस्तौल तान दिया था. इस वाकये के सात महीने बाद बिहार पुलिस ने एडीजे अविनाश कुमार पर ही एफआईआर कर दिया है. जिन पुलिसकर्मियों पर जज की पिटाई का आरोप लगा था उनके बयान पर जज के खिलाफ ही FIR कर दिया गया. बुधवार को ये मामला पटना हाईकोर्ट की डबल बेंच के सामने आया था. जिसके बाद कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए बिहार के डीजीपी को कोर्ट में हाजिर होने को कहा था.
हाईकोर्ट में पेश हुए डीजीपी
बिहार के डीजीपी एसके सिंघल आज हाईकोर्ट मेंजस्टिस राजन गुप्ता और मोहित शाह की अध्यक्षता वाली डबल बेंच के सामने पेश हुए. डीजीपी कोर्ट की नाराजगी को दूर करने के लिए सारी कार्रवाई पहले से करके आय़े थे. डीजीपी और बिहार सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता ललिल किशोर ने कहा कि बिहार पुलिस ने एफआईआर करने में गलती कर दी है. ऐसे में डीजीपी ने तत्काल प्रभाव से जज के खिलाफ दर्ज एफआईआर में किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दिया है. चूंकि पुलिस खुद FIR को रद्द नहीं कर सकती इसलिए वह कोर्ट में जाकर ये कहेगी कि उससे भूल हो गयी है और इस एफआईआर को रद्द कर दिया जाये.
कोर्ट ने कहा- पुलिस का रवैया खतरनाक है
इस मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि बिहार पुलिस का ये रवैया खतरनाक है. देश का सुप्रीम कोर्ट कम के कम तीन मामलों में ये आदेश दे चुका है कि किसी भी जज या न्यायिक पदाधिकारी के खिलाफ तभी FIR दर्ज किया जा सकता है जब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस उसकी मंजूरी दें. बिहार पुलिस ने बगैर मंजूरी लिए ही खुद एफआईआर दर्ज कर दिया. ऐसे में तो पुलिस जब चाहेगी तब किसी जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर देगी. कोर्ट ने कहा कि नेताओं के खिलाफ दर्ज होने वाले एफआईआर को तो पुलिस तुरंत वापस लेती है, जज के मामले में गलती कैसे हो गयी. हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि पुलिस का अगर यही रवैया रहा तो फिर सख्त कदम उठाने पर बाध्य होंगे.
कोर्ट के कड़े रूख को देखते हुए बिहार पुलिस ने कहा कि वह तत्काल FIR को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है. बिहार पुलिस का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता ललित किशोर के बार बार के आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले सारी प्रक्रिया पूरी कर लेने का आदेश दिया.
बता दें कि 18 नवंबर 2021 को बिहार के झंझारपुर कोर्ट में थानेदार और दरोगा ने चेंबर में घुसकर जज की पिटाई कर दी थी. पटना हाईकोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है. मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की बेंच में बुधवार को इस मामले की सुनवाई हो रही थी. इसी दौरान कोर्ट को ये पता चला कि बिहार पुलिस ने जज के खिलाफ ही एफआईआर कर दिया है. कोर्ट ने सरकार के वकील से पूछा कि किस कानून के तहत जज के खिलाफ एफआईआर किया गया है. सरकारी वकील इस सवाल का जवाब नहीं दे पाये.
कोर्ट में मौजूद वकील मृगांक मौली ने बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट समेत देश के कई हाईकोर्ट स्पष्ट तौर पर ये आदेश दे चुके हैं कि किसी न्यायिक पदाधिकारी के खिलाफ तभी कोई FIR दर्ज किया जा सकता है जब उसकी मंजूरी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दें. झंझारपुर मामले में बिहार सरकार या पुलिस ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कोई मंजूरी नहीं ली. बिहार पुलिस का पक्ष रख रहे वकील ने कहा कि एफआईआर करने के लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा गया था. हाईकोर्ट सरकारी वकील का जवाब सुनकर हैरान रह गये था. कोर्ट ने कहा- चीफ जस्टिस ने कोई मंजूरी नहीं दी फिर केस कैसे दर्ज हो गया.
बिहार पुलिस पर बेहद नाराज हाईकोर्ट की बेंच ने बुधवार को कहा था कि क्या पुलिस सुप्रीम कोर्ट औऱ हाईकोर्ट से भी उपर हो गयी है. नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस का रवैया बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने सरकारी वकील को कहा-इस मामले में जो फैसला करना है वो एक दिन में करें. सरकारी वकील कोर्ट से अगली सुनवाई के लिए समय मांग रहे थे. कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा जिसने ये किया है उसे सजा मिलेगी. हम इस मामले में कोई देरी नहीं करेंगे. जो होना है वह कल ही होगा. नाराज कोर्ट ने कहा-हम दोषियों को सजा देंगे.
बुधवार को ही पटना हाईकोर्ट की बेंच ने तत्काल बिहार के डीजीपी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने बिहार के डीजीपी के साथ साथ मधुबनी के एसपी और इस मामले की जांच करने वाले आईओ को गुरुवार की दोपहर ढाई बजे हाईकोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ये साफ दिख रहा है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है.
बता दें कि एडीजे से मारपीट के मामले में 18 नवंबर 2021 को जज के बयान के आधार पर पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. प्राथमिकी में घोघरडीहा के तत्कालीन थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण और एसआई अभिमन्यु कुमार शर्मा धारा 341, 342, 323, 353, 355, 307, 304, 306 और 34 के तहत केस किया गया था. घटना के सात महीने बाद इस साल जून में झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया था. जज के साथ मारपीट के आरोपी घोघरडीहा के पूर्व थानेदार गोपाल कृष्ण के बयान पर झंझारपुर थाने में ये एफआईआर दर्ज करायी गयी थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद इसकी जांच सीआईडी को सौंप दी गयी थी.