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24-May-2023 09:36 AM
By First Bihar
PATNA : क़िस्त पर गाड़ी लेने के बाद किश्त नहीं चुकाने पर बैंक व अन्य फाइनेंस कंपनियां अपने रिकवरी एजेंटों के जरिए जबरन किसी तरह की जोर- जबरदस्ती नहीं करवा सकेंगे। इसको लेकर पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
दरअसल, पटना हाई कोर्ट ने गाड़ियों को जब्त और नीलामी करने के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि, गाड़ियों के लोन की किश्त नहीं चुकाने पर बैंक व अन्य फाइनेंस कंपनियां अपने रिकवरी एजेंटों के जरिए कसी भी ग्राहक के साथ बुरा बर्ताव नहीं कर सकती है या कसी भी तरह की धमकी भी नहीं दे सकती है। ऐसा करने पर आरोपी एजेंट एवं अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। कोर्ट ने सभी एसपी को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि कोई रिकवरी एजेंट बिना किसी सक्षम प्राधिकार के आदेश के गिरवी पड़ी गाड़ियों को जब्त नहीं करे।
बताया जा रहा है कि, न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने राम अयोध्या सिंह व अन्य की तरफ से दायर पांच रिट याचिकाओं को निष्पादित करते हुए आदेश दिया कि, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों को वाहन ऋण की वसूली यदि बंधक बनाई गई गाड़ियों को जब्त व नीलामी के जरिए करना है तो वे 2002 में संसद से पारित विशेष कानून सरफेसी एक्ट को अपनाएं। इसके आलावा कसी भी तरह जी जबरदस्ती करने पर एजेंट के खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।
कोर्ट ने अपने 53 पेज के फैसले में कहा कि लोन पर गाड़ी खरीद व उसे चलाकर खुद और परिवार का गुजारा करने वालों की उक्त गाड़ी को सक्षम प्राधिकार के आदेश के बगैर, जब्त या छीन लेना संविधान के अनु. 21 में दिए गए जीवन जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। इस वजह से कोई भी एजेंट खुद की मर्जी से किसी के साथ जबरस्दस्ती नहीं कर सकते हैं।
इधर, न्यायमूर्ति प्रसाद ने आईसीआईसीआई बैंक सहित उत्तरवादी बने अन्य कंपनी को आदेश दिया कि मुकदमा खर्च के तौर पर प्रत्येक रिट याचिकाकर्ता को एक महीने के अंदर 50 हजार रुपए दें। इसके साथ ही उत्तरवादी बैंक व वित्तीय कंपनियों को यह भी निर्देश दिया कि वे रिट याचिकाकर्ताओं से बकाए लोन की 30% राशि लेकर उन्हें जब्त गाड़ी लौटाएं। याचिकाकर्ताओं को यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि शेष 70% राशि वे बराबर किश्तों में जमा करेंगे। जिनकी गाड़ी नीलाम हो चुकी है उन्हें गाड़ी की बीमा के समतुल्य राशि लौटाने का आदेश भी दिया गया है।