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16-Oct-2022 08:44 AM
PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद नीतीश कुमार ने जो बदलाव किए उसकी चर्चा देशभर में खूब हुई। नीतीश कुमार की साइकिल–पोशाक और छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कराटे सिखाने जैसी योजनाओं की चर्चा हर वक्त होती रही। खुद नीतीश कुमार लगभग हर दूसरे दिन इस बात की चर्चा करते हैं कि बिहार में बेटियों की शिक्षा को लेकर उन्होंने कितना बड़ा बदलाव किया है।
नीतीश कुमार जब साइकिल–पोशाक योजना की चर्चा करते हैं तो छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें कराटे सिखाने जैसी पहल की भी चर्चा करना नहीं भूलते। लेकिन नीतीश कुमार के इन्हीं दावों के बीच पटना से जो दहला देने वाली खबर सामने आई है, वह सुशासन के ऊपर कई सवाल छोड़ जाती है।
मामला पटना के मोकामा इलाके से जुड़ा है। यहां स्कूल जाने के दौरान दसवीं की एक छात्रा के साथ इस कदर छेड़खानी हुई कि उसने आखिरकार अपनी जिंदगी खत्म करना ही मुनासिब समझा। छात्रा मोकामा थाने के कन्हाईपुर की रहने वाली बताई जा रही है। पिछले 6 महीने से चार लड़के लगातार उसके साथ छेड़खानी कर रहे थे। स्कूल जाने के दौरान लगातार छेड़खानी से परेशान छात्रा ने पढ़ाई लिखाई भी बंद कर दी थी।
हद तो तब हो गई जब बीते 13 अक्टूबर को छेड़खानी करने वाले चारों युवक उसके गांव तक पहुंच गए। इसके बाद छात्रा इतनी डर गई कि परेशान होकर उसने खुदकुशी कर ली। 14 साल की छात्रा के पिता पेशे से वकील हैं और बाढ़ कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। छात्रा की खुदकुशी करने के बाद परिजन बता रहे हैं कि उसे लगातार स्कूल जाने के दौरान धमकी दी जाती थी। अश्लील कमेंट किए जाते थे। इतना ही नहीं कोचिंग जाने के दौरान भी उसके साथ छेड़खानी की जाती थी।
बदनामी के डर से परिजन केस नहीं कर रहे थे लेकिन छात्रा ने परेशान होकर स्कूल जाना छोड़ दिया था वह केवल कोचिंग के लिए ही जाती थी जो लफंगे लगातार छात्रा के साथ छेड़खानी कर रहे थे। वह अगवा करने और शादी करने की धमकी भी देते थे। 13 अक्टूबर को यह चारों युवक उसके घर तक पहुंच गए थे, छात्रा इसे लेकर बेहद सदमे में थी। अपनी बेटी की खुदकुशी के बाद वकील पिता ने इन चारों युवकों के ऊपर छेड़खानी और आत्महत्या के लिए मजबूर करने के साथ-साथ पॉस्को एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
पटना में हुई इस घटना ने सुशासन वाली सरकार के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह भी कि क्या साइकिल पोशाक और कराटे सिखाने जैसी योजनाओं की चर्चा केवल भाषणों तक ही सीमित है? क्या सरकार के ऊपर यह जिम्मेदारी नहीं है कि सड़क चलते लड़कियों के साथ छेड़खानी को रोका जा सके? बेटियां स्कूल बेखौफ होकर जा सके और मोकामा की बच्ची के साथ जो कुछ हुआ वह आगे किसी दूसरी बेटी के साथ ना हो।