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23-Apr-2021 08:34 PM
PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज ये एलान किया कि पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानि IGIMS में कोरोना का मुफ्त इलाज होगा. उनके इलाज से लेकर दवा का खर्च सरकार उठायेगी. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि इस संस्थान में किन मरीजों का इलाज हो रहा है, जिनका खर्च सरकार उठायेगी. ये वही IGIMS है जहां राज्य के विधायक औऱ पूर्व मंत्री मेवालाल चौधरी को गंभीर हालत में होने के बावजूद भर्ती नहीं किया गया था औऱ उन्हें वापस लौटा दिया गया था. बिहार के हजारों मरीज ऑक्सीजन, दवा औऱ इलाज के अभाव में तड़प तडप कर मरने को मजबूर हैं, सरकार उनके बारे में कुछ नहीं बोल रही है.
किसका इलाज हो रहा है IGIMS में
दरअसल पिछले 15 अप्रैल को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एलान किया था कि आईजीआईएमएस में 50 बेड वाला कोविड अस्पताल शुरू किया जायेगा. मंगल पांडेय ने ये भी एलान किया था कि जल्द ही 100 और बेड की व्यवस्था भी की जायेगी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि यहां उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जायेगा तो पटना एम्स, पीएमसीएच औऱ नालंदा मेडिकल कॉलेज से रेफर हो कर आयेंगे.
IGIMS में अब तक इलाज की कोई सूचना नहीं
15 अप्रैल से लेकर अब तक सरकार या IGIMS के मैनेजमेंट ने इसकी कोई जानकारी नहीं दी है कि कितने मरीज वहां आये औऱ कितनों का इलाज किया गया. पटना के दूसरे सरकारी कोविड अस्पतालों एम्स, पीएमसीएच, एनएमसीएच में बेड औऱ मरीजों के बारे में खबरें आ रही हैं. लेकिन अब तक IGIMS के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. पटना में ऐसे कई लोग हैं जो कोरोना के मरीज को लेकर आईजीआईएमएस गये लेकिन उन्हें वहां भर्ती नहीं किया गया.
मेवालाल चौधरी को भी नहीं किया था भर्ती
कोरोना से संक्रमित होकर कुछ दिन पहले दिवंगत हुए विधायक मेवालाल चौधरी को भी IGIMS से बैरंग लौटा दिया गया था. उनके पीए ने मौत के बाद बताया था कि जब विधायक आईजीआईएमएस गये थे तो उनकी हालत गंभीर थी. वे सांस नहीं ले पा रहे थे लेकिन उन्हें भर्ती नहीं किया गया था.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरकार IGIMS में किसका इलाज हो रहा है जिसका खर्च सरकार उठायेगी. सरकारी आंकड़ों को ही मानें तो बिहार में अभी 76 हजार से ज्यादा कोरोना के मरीज हैं. हजारों मरीज ऐसे हैं जो इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर मौत के मुंह में जा रहे हैं. सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को कोविड के इलाज की मंजूरी दी है लेकिन वहां भर्ती कराने के लिए लाखों वसूले जा रहे हैं. बिहार में मरीजों को न ऑक्सीजन मिल रहा है न दवा. ऐसे मरीजों का क्या होगा. सरकार इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.