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21-Dec-2024 11:47 PM
इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। महाकुंभ का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है, और इसे पवित्र संगम में स्नान करने का अवसर प्राप्त होता है, जिससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु जुटते हैं, और यह अवसर एक विशेष धार्मिक अनुभव प्रदान करता है।
महाकुंभ का संबंध पौराणिक कथा से है, जिसमें समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला था, जिसे कुंभ का प्रतीक माना जाता है। महाकुंभ के दौरान साधु संतों के कई अखाड़े (Akhada) देखने को मिलते हैं, जो अपनी अलग भूमिका निभाते हैं।
कितने हैं अखाड़े?
देशभर में अखाड़ों की कुल संख्या 13 है। इनमें से 7 अखाड़े शैव संन्यासियों के, 3 अखाड़े वैष्णव संप्रदाय के और 3 अखाड़े उदासीन संप्रदाय के हैं। ये अखाड़े महाकुंभ के समय विशेष रूप से अपने आचार्य और साधुओं के साथ पवित्र स्नान करने के लिए संगम पर आते हैं।
अखाड़ों का प्रतीक
महाकुंभ में अखाड़े धार्मिकता और साधना के प्रतीक होते हैं। इनका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। अखाड़े, जहां एक ओर पहलवानों के लिए कुश्ती लड़ने के स्थान होते हैं, वहीं महाकुंभ के संदर्भ में यह साधु संतों के समूह होते हैं, जिनका उद्देश्य धर्म, साधना और समाज की भलाई के लिए कार्य करना होता है।
अखाड़ों की स्थापना
अखाड़ों की स्थापना का श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है, जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए साधुओं के कई संगठन बनाए। इन संगठनों को शस्त्र विद्या का ज्ञान प्राप्त था और इन्हें ही अखाड़े के रूप में जाना गया।
महाकुंभ 2025 के शाही स्नान की तिथियां
महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है। यह अवसर धार्मिक आस्था और विश्वास का प्रतीक है। शाही स्नान में सबसे पहले साधु संत स्नान करते हैं, इसके बाद आम जनता स्नान करती है। इस साल के शाही स्नान की तिथियां निम्नलिखित हैं:
14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025 - बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 - माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 - महाशिवरात्रि
धार्मिक मान्यता है कि शाही स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में आ रहे दुखों और संकटों से मुक्ति मिलती है। महाकुंभ का यह पर्व हर श्रद्धालु के लिए एक जीवनभर का अनमोल अनुभव होता है।