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28-Nov-2020 06:31 PM
PATNA: विधानसभा चुनाव में हार गये आरजेडी के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी क्या जेडीयू में शामिल होंगे. सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म है. खबर ये है कि जेडीयू ने सिद्दीकी को विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाने का ऑफर दिया है. जेडीयू नेता बता रहे हैं कि सिद्दीकी मान गये हैं लेकिन खुद अब्दुल बारी सिद्दीकी ना या हां कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
आरजेडी में अलग थलग पड़े सिद्दीकी
विधानसभा चुनाव में सीट बदलने वाले सिद्दीकी चुनाव के बाद अपनी पार्टी में अलग थलग पड़ गये हैं. राबड़ी आवास से लेकर पार्टी के किसी फोरम पर वे नजर नहीं आ रहे हैं. सिद्दीकी के करीबी बता रहे हैं कि वे पार्टी से नाराज हैं. चुनाव में उन्हें अलीनगर से हटाकर केवटी से चुनाव लड़वाया गया था. सिद्दीकी समर्थकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में आरजेडी के कोर वोटर माने जाने वाले वर्ग ने उन्हें दगा दे दिया. वे इसके पीछे साजिश देख रहे हैं.
जेडीयू का ऑफर
सियासी गलियारे में हो रही चर्चा के मुताबिक नीतीश कुमार ने एक बार फिर अब्दुल बारी सिद्दीकी को ऑफर दिया है. इस बार का ऑफर ये है कि उन्हें एमएलसी बनाया जायेगा और फिर राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया जायेगा. विधान परिषद के कई सदस्यों के विधायक बनने के कारण सीट खाली है. सिद्दीकी वैसे ही एमएलसी बन सकते हैं. उधर राज्यपाल कोटे से 12 एमएलसी का मनोनयन भी होना है. सिद्दीकी को वहां भी जगह मिल सकती है. बिहार की नयी सरकार में कोई मुसलमान मंत्री नहीं बना है. सिद्दीकी उस जगह को भी भर सकते हैं.
दरअसल जेडीयू को फिलहाल सिद्दीकी की जरूरत है. विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 11 मुसलमान उम्मीदवारों को खड़ा किया था, सारे के सारे चुनाव हार गये. नीतीश कुमार को लग रहा है कि मुसलमान वोटरों के बीच उनकी पैठ खत्म होते जा रही है. जेडीयू में अभी कोई स्थापित मुसलमान नेता नहीं है. ऐसे में अगर सिद्दीकी पार्टी में आ जाते हैं तो ये कमी पूरी की जा सकती है.
बोलने को तैयार नहीं सिद्दीकी
उधर, अब्दुल बारी सिद्दीकी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. मीडिया ने उनसे जेडीयू में शामिल होने पर सवाल पूछा तो वे मुस्कुरा कर टाल गये. सिद्दीकी ने ना तो हां कहा और ना ही इंकार किया. सिद्दीकी का मौन ढेर सारी बातें कह गया.
वैसे भी सिद्दीकी पर काफी दिनों से नीतीश कुमार की नजर है. 2010 से 2013 तक सिद्दीकी जब बिहार विधानसभा में आरजेडी विधायक दल के नेता थे तो उन्हें तोड कर जेडीयू में लाने की पूरी कोशिश की गयी थी. उस दौरान आरजेडी को तोड़ने की भी कोशिश हुई थी. कहा जाता है कि इसकी भूमिका सिद्दीकी ने ही रची थी लेकिन बीच में ही खेल बिगड़ गया था.