Bihar Crime News: बिहार में मामूली बात को लेकर खूनी संघर्ष, पीट-पीटकर युवक की हत्या, दो घायल Bihar News: बिहार प्रशासनिक सेवा के इस अफसर के खिलाफ होगा एक्शन ! भू-अर्जन से जुड़ा है मामला.... Bihar Island: थाईलैंड को टक्कर देता है बिहार का यह अनोखा आइलैंड, यहां घूमने आते हैं देश-विदेश के पर्यटक Cricket: क्लीन बोल्ड करने के मामले में यह भारतीय गेंदबाज सबसे आगे, कुंबले और कपिल देव को भी पछाड़ा Illegal Immigrants: रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर और सख्त हुई सरकार, अब यहां बनाए गए 4 डिटेंशन सेंटर INDvsENG: ICC के इस नियम से गुस्सा हुए इंग्लैंड के कप्तान, कहा "इन्हें कॉमन सेंस की जरुरत" Bihar Flood Alert: बिहार के कई जिलों में बाढ़ का खतरा, खोले गए फरक्का बराज के सारे गेट Bihar Crime News: बिहार में सरपंच की गोली मारकर हत्या, पुलिस छापेमारी में जुटी Bihar Weather: बिहार में अगले 7 दिन बारिश का तांडव, इन जिलों के लोगों को बरतनी होगी विशेष सावधानी बगहा में खाद की किल्लत से नाराज़ किसानों ने NH-727 पर किया चक्का जाम, प्रशासन से मांगा समस्या का समाधान
24-Feb-2024 03:34 PM
By First Bihar
JEHANABAD: बिहार के सरकारी स्कूलों की टाईमिंग का मुद्दा पिछले कुछ दिनों से गरम है। विधानसभा से लेकर विधान परिषद में विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर हंगामा कर रहा है। विपक्षी दल केके पाठक को पद से हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश के बावजूद केके पाठक अपनी बात पर अड़े हुए हैं। जिसको लेकर बिहार में खूब सियासत हो रही है। जहानाबाद पहुंचे राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केके पाठक को सनकी करार दिया है।
दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा शुक्रवार को कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए जहानाबाद पहुंचे थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुशवाहा ने केके पाठक पर हमला बोलते हुए सीएम नीतीश पर भी सवाल खड़े किए। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि केके पाठक एक सनकी पदाधिकारी हैं। मुख्यमंत्री अब तक उन्हें क्यों सह रहे हैं यह पता नहीं है। ऐसा पदाधिकारी जो शिक्षकों को गाली दे, गाली देकर कभी शिक्षा में सुधार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ले लें। देर से ही सही शिक्षकों की दक्षता परीक्षा को लेकर सरकार ने निर्देश जारी किया है लेकिन जो नियोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नहीं कर सकें उनकी नौकरी भी नहीं जानी चाहिए। ऐसे शिक्षकों को शिक्षा देने के अलावा दूसरे कार्यों में लगाना जाना चाहिए।