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13-Jan-2022 12:47 PM
PATNA : भारत में मकर संक्रांति को अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से जाना जाता है. उत्तर भारत में इसे खिचड़ी या मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं तो तमिलनाडु में इसे पोंगल और गुजरात में उत्तरायण कहा जाता है. वहीं सनातन धर्म में मकर संक्रांति का खास महत्त्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन स्नान दान कर भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है. हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाती है, लेकिन इस बार मकर संक्राति 14 और 15 जनवरी दो दिन मनाई जाएगी.
आपको बता दें कि सूर्य की एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्राति कहलाता है. वहीं जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है, तो मकर संक्रांति पड़ती है. वही संक्रांति तब शुरू होती है जब सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं. और इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर गोचर कर रहें हैं. लेकिन कुछ कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी तो कुछ के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना शुभ है.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार सूर्य 13 जनवरी को संध्या सात बजकर 30 मिनट पर प्रवेश कर रही है. इस कारण मकर संक्राति 14 जनवरी के 2 बजकर 27 मिनट से लेकर 15 जनवरी के 12 बजे के पहले तक शुभ होगा. कहा कि मकर संक्राति के दिन पूजा, जाप,तप और दान करना विशेष फलदायी होगा. मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को अनाज, वस्त्र, ऊनी कपड़े, फल आदि दान करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान 100 होकर प्राप्त होता है. मकर संक्रांति के दिन दान करने वाला व्यक्ति संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है.