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जब नरसंहार हो रहे थे तब अशोक चौधरी सत्ता की मलाई खा रहे थे, अब उसूलों की बात कर रहे हैं: नीतीश के मंत्री के बयान पर घमासान बढ़ा

जब नरसंहार हो रहे थे तब अशोक चौधरी सत्ता की मलाई खा रहे थे, अब उसूलों की बात कर रहे हैं: नीतीश के मंत्री के बयान पर घमासान बढ़ा

30-Aug-2024 08:21 PM

By FIRST BIHAR EXCLUSIVE

PATNA: बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के जाति विशेष पर दिये गये बयान पर सियासी घमासान गहरा गया है. जेडीयू के ही कई नेताओं ने अशोक चौधरी पर खुला हमला बोल दिया है. जेडीयू नेताओं ने कहा है कि जब बिहार में नरसंहार हो रहे थे तब अशोक चौधरी लालू प्रसाद यादव की गोद में बैठकर सत्ता की मलाई खा रहे थे. अब वे उसूलों की बात करने लगे हैं. जेडीयू के ही नेताओं ने राज्य सरकार को चेताया है-जहानाबाद संवेदनशील जगह है, अगर अब वहां जातीय हिंसा हुई तो उसके जिम्मेवार अशोक चौधरी होंगे.


दरअसल नीतीश कुमार के खास मंत्री अशोक चौधरी ने भूमिहार जाति को जमकर कोसा है. मंत्री ने कहा है-मैं भूमिहार जाति को अच्छे से जानता हूं. जब लोकसभा चुनाव हुआ तो इस जाति के लोग नीतीश कुमार का साथ छोड़ कर भाग गये. ये लोग अपनी जाति के सांसद को तो पाक साफ करार देते हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में हमारे उम्मीदवार का विरोध किया. 


अशोक चौधरी हिंसा फैलाना चाह रहे हैं

जेडीयू के वरीय नेता और पूर्व मंत्री जगदीश शर्मा ने अशोक चौधरी के बयान पर कड़ी आपत्ति जतायी है. जगदीश शर्मा ने कहा कि जहानाबाद बेहद संवेदनशील जगह है. वहां काफी कोशिशों के बाद जातीय तनाव खत्म हुआ है. अशोक चौधरी अब फिर से जातीय हिंसा फैलाना चाह रहे हैं. सरकार इस बात को समझे कि अगर फिर कुछ हुआ तो उसके जिम्मेवार सिर्फ अशोक चौधरी होंगे.


मंत्री को ज्ञान की कमी

जगदीश शर्मा ने कहा कि अशोक चौधरी को कोई राजनीतिक समझ नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाकर पूछना चाहिये कि उन्हें सीएम बनाने में भूमिहारों ने कितनी मदद की है. जगदीश शर्मा ने कहा कि सन 2000 में मैं निर्दलीय चुनाव जीत कर आय़ा था और मेरे साथ 17 विधायक थे. उस वक्त लालू प्रसाद यादव मेरे घर आये थे और कहा था कि समर्थन दीजिये. मुंहमांगी कुर्सी देंगे. लेकिन मैंने लालू यादव को वापस लौटा दिया और नीतीश कुमार को समर्थन दिया था. तभी नीतीश कुमार सात दिनों के लिए सीएम बने थे.


2005 के विधानसभा चुनाव के बाद भी भूमिहार जाति के सारे विधायक नीतीश कुमार के साथ खड़े थे. उस समय अशोक चौधरी कहां थे. अब नीतीश कुमार को सोचना चाहिये कि किस तरह के व्यक्ति को मंत्री बना रखा है जो सामाजिक विद्वेष फैलाने में लगा है. लेकिन अब अशोक चौधरी की मंशा सफल नहीं होने वाली है.


जेडीयू के पूर्व जिलाध्यक्ष का सीधा अटैक

उधर, जेडीयू के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा है कि अशोक चौधरी बिहार को जाति में बाँटने का काम रहे हैं. उनके बयान से भूमिहार जाति आहत है. अशोक चौधरी कहते हैं कि नीतीश शासन के पहले बिहार में 185 नरसंहार हुए. लेकिन सच्चाई यह है कि जिस समय नरसंहारों का दौर चल रहा था उस समय अशोक चौधरी जंगलराज के राजा के साथ गोद में बैठकर मलाई खा रहे थे. अशोक चौधरी उसी जंगलराज के हुंडार और सियार रहे हैं और आज जंगलराज- जंगलराज चिल्लाकर जनता को बरगलाने में जुटे हैं.


गोपाल शर्मा ने कहा है कि अशोक चौधरी एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति हैं. वे हमेशा से जाति की राजनीति करते रहे हैं. अशोक चौधरी जिस लोकसभा चुनाव की बात कर रहे हैं, उस चुनाव में वे ही जहानाबाद के प्रभारी थे. उन्हें बताना चाहिये कि वे जिन गांवों में गए वहां क्यों नहीं अति पिछड़ा और दलित समाज के मतदाताओं ने जदयू को वोट दिया. इसका जिम्मेदार कौन है? 


किन किन गांवों में अशोक चौधरी वोट दिलाने में सफल रहे उन्हें अपना डेटा देना चाहिए. चुनाव के समय भी अशोक चौधरी के ऐसे ही उलजुलुल बयानों के कारण ही जदयू से मतदाताओं का मोहभंग हुआ. उनके वक्तव्य के कारण ही 70 फीसदी मतदाता जदयू से दूर हुए और NDA उम्मीदवार चन्द्रवंशी की हार हुई. चुनाव में हार जीत होते रहता है उसकी समीक्षा निष्पक्षता से होना चाहिए, लेकिन अशोक चौधरी एक जाति के खिलाफ विष वमन कर सामाजिक सद्भाव को ही बिगाड़ना चाह रहे हैं.