ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बीडीसी पति को गोली मारने के मामले में दो गिरफ्तार, बाइक बरामद Bihar News: बिहार की 2 महिला CO ने किया बड़ा खेल, हुआ खुलासा तो मिली ये सजा, जानें.... Bihar News : दरभंगा NH-27 पर स्वर्ण व्यवसायी का शव छह टुकड़ों में मिला, हत्या या हिट एंड रन? Bihar Crime News: बिहार में अब पूजा समिति के सदस्य को युवक ने मारी गोली, तलाश शुरू.. Bihar Crime News: बिहार में यहां बदमाशों ने युवक को मारी गोली, छापेमारी में जुटी पुलिस की टीम Bihar News: बिहार के इन शहरों में 'बाइपास' का निर्माण शुरू...नेशनल हाईवे से जुड़ेगा, मिलेगा बड़ा लाभ Bihar News: स्कॉर्पियो-कंटेनर भिड़ंत में तीन की मौत, सात घायल Bihar news: विजयादशमी पर बिहार को ₹10,219 करोड़ की Tax Devolution की बड़ी सौगात, पीएम मोदी को राज्यवासियों का धन्यवाद Bihar politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भोजपुरी स्टार पवन सिंह की बीजेपी में वापसी,जानिए किस सीट से मिल सकता है टिकट Bihar News: बिहार में बाघ के हमले से किसान की दर्दनाक मौत, वन विभाग ने शुरू किया सर्च ऑपरेशन

भारतीय संस्कृति में रंगों का महत्व; काले, लाल और पीले रंग के विशेष प्रतीक

भारतीय संस्कृति में रंगों का महत्व; काले, लाल और पीले रंग के विशेष प्रतीक

23-Dec-2024 11:26 PM

By First Bihar

भारतीय संस्कृति में रंगों का विशेष महत्व है। रंगों को न केवल हमारी भावनाओं से जोड़ा जाता है, बल्कि इन्हें हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों में भी अहम स्थान दिया गया है। काले रंग को अक्सर नकारात्मकता और अशुभता का प्रतीक माना जाता है, जबकि लाल और पीला रंग शुभता और सकारात्मकता का संकेत देते हैं। आइए, इस संदर्भ में विस्तार से समझते हैं:


काले रंग का महत्व और मान्यता

काले रंग का प्रतीकात्मक अर्थ:

काला रंग नकारात्मकता, विनाश, और बुरी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

किसी भी शुभ अवसर (जैसे पूजा, विवाह) में इसे वर्जित किया जाता है, ताकि वातावरण में शुभ और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।


सुहागन महिलाओं से जुड़ी परंपरा:

सुहागन महिलाओं को परिवार की लक्ष्मी और भविष्य की पीढ़ी का आधार माना जाता है।

उन्हें हर प्रकार की नकारात्मकता से दूर रखने के लिए काले वस्त्र पहनने से बचने की परंपरा है।

लाल और पीला रंग: शुभता के प्रतीक

लाल रंग:

लाल रंग शक्ति, सकारात्मकता, और उत्साह का प्रतीक है।

यह विवाह, पूजा, और अन्य शुभ कार्यों में प्रमुख रूप से प्रयोग होता है।

पीला रंग:

पीला रंग ज्ञान, समृद्धि, और आध्यात्मिकता का संकेत है।

यह देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने और शुभता के लिए पहना जाता है।

देव कर्म और पितृ कर्म में रंगों का भेद

देव कर्म (शुभ कार्य):

विवाह, पूजा, या कोई भी मांगलिक कार्य के दौरान लाल, पीला, हरा, नारंगी जैसे रंगों को प्राथमिकता दी जाती है।

यह रंग सकारात्मकता और शुभता को दर्शाते हैं।

पितृ कर्म (श्राद्ध, तर्पण):

पितरों को समर्पित कार्यों में सफेद या काला रंग उपयुक्त माना जाता है।

सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है, जबकि काला रंग विनम्रता और अंत का प्रतीक है।


महिलाओं के वस्त्रों का विशेष ध्यान

महिलाओं को खासतौर पर ऐसे रंग पहनने की सलाह दी जाती है जो शक्ति, सकारात्मकता, और लक्ष्मी का प्रतीक हों।

शुभ अवसरों पर रंगीन और चमकीले रंगों की साड़ियां पहनना न केवल परंपरा का हिस्सा है, बल्कि इसे घर में समृद्धि और खुशहाली लाने वाला माना जाता है।

रंगों का चयन: समय और अवसर के अनुसार

शुभ कार्यों के लिए: लाल, पीला, हरा, नारंगी।

पितृ कार्यों के लिए: सफेद, काला।

नित्य जीवन में: रंगों का चयन मौसम, मूड, और अवसर के अनुसार करें, लेकिन पारंपरिक संदर्भों का ध्यान रखें।


रंग केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं हैं; वे हमारी संस्कृति, परंपरा, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करते हैं। सही समय और अवसर के अनुसार रंगों का चयन करने से न केवल शुभता आती है, बल्कि यह हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ता है।