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Bihar Politics: ‘आपकी असली पीड़ा को मैं समझ सकता हूं’ केजरीवाल के लेटर का सीएम नीतीश के करीबी ने दिया करारा जवाब

Bihar Politics: ‘आपकी असली पीड़ा को मैं समझ सकता हूं’ केजरीवाल के लेटर का सीएम नीतीश के करीबी ने दिया करारा जवाब

20-Dec-2024 08:06 PM

By First Bihar

PATNA: राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (amit shah) द्वारा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर (bhimrao ambedkar) को लेकर की गई टिप्पणी के बाद देश की सियासत गर्म हो गई थी। जब इस मामले को लेकर विपक्ष बीजेपी (bjp) पर हमलावर था तो इसी बीच दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल(arvind kejriwal) ने सीएम नीतीश कुमार(Bihar cm nirish kumar) और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (chandrababu naidu) को पत्र लिखकर एनडीए गठबंधन में शामिल होने के फैसले पर विचार करने की अपील की थी। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से जेडीयू(jdu) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा (sanjay kumar jha) ने केजरीवाल के पत्र (letter) का जवाब दिया है।


राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने केजरीवाल को करारा जवाब देते हुए लिखा कि, “बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को लिखा गया आपका पत्र मैंने पढ़ा। आपका असली पीड़ा मैं समझ सकता हूँ। आपका दर्द यह है कि उस दिन सदन में आपके गठबंधन के नेता श्री राहुल गांधी जी, उनकी पार्टी और उनके परिवार की कलई खुल रही थी। सच से पर्दा हट रहा था। कांग्रेस ने पूज्य बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी, उनकी सोच और संविधान के साथ जो किया वह सच पूरे देश के सामने आ रहा था”।


उन्होंने आगे लिखा, “देश के माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने उस दिन इतिहास के वो पन्ने पलटे, जो आप और आपके गठबंधन के नेता श्री राहुल गांधी जी नहीं देखना चाहते हैं। श्री अमित शाह जी ने देश को बताया कि किस तरह से दलितों और महिलाओं की उपेक्षा से आहत होकर बाबा साहब को नेहरू जी की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा। मैं समझ सकता हूँ इस तरह की बातों पर चर्चा, आप और आपके गठबंधन के नेता श्री राहुल गांधी जी को कतई पसंद नहीं आई होगी”।


संजय झा लिखते हैं, “श्री अमित शाह जी ने देश को बताया कि जब बाबा साहब चुनाव लड़े, ती नेहरू जी ने न सिर्फ उनके खिलाफ प्रचार किया बल्कि उनको चुनाव हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अंततः बाबा सहब ने चुनावी राजनीति से दूरी बना ली। आपको याद दिलाना चला कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने बाबा साहेब के साथ जो दुर्व्यवहार किया वह अक्षम्य है। 1955 में नेहरू जी ने खुद को भारत रत्न' दिया। 1971 में इंदिरा जी ने खुद को 'भारत रत्न दिया। जबकि राम्रा साहब को 'भारत रत्न’ मिलने में चार दशक से ज्यादा लग गया। उनको यह सम्मान 1990 में तभी मिला, जब कांग्रेस को इस देश की जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया”।


जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने आगे लिखा, “जनता दन की उस सरकार में मेरे नेता और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी मंत्री हुआ करते थे। और उन्होंने यह मांग रही थी कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर कोभारत रत्न' से नवाजा जाए। मेरे नेता और बिहार के मुख्यमंत्री आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी ने बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलते हुए बिहार में, दलितों और पिछड़ों के लिए जो किया है, आप और आपके गठबंधन के नेता श्री राहुल गांधी जी उसे करने की कल्पना भी नहीं कर सकते। बिहार में 1990 तक कांग्रेस पार्टी लगातार सता में रही और 1990 से लेकर 2005 तक आरजेडी के साथ सत्ता की मलाई बाती रही। मनर बिहार में पंचायती राज व्यवस्था ने दलितों और अतिपिछडों में आरक्षण तब मिला जब श्री नीतीश कुमार जी मुख्यमंत्री बने”।


संजय झा ने लिखा, “तब कहां गया था आपके गठबंधन के नेता और उनकी पार्टी की संविधान के प्रति आस्था और बाबा साहब के प्रति प्रेम। आपके गठबंधन के नेता श्री राहुल गांधी जी पूरे देश में जाति जनगणना की डुगडुगी बजाते रहते हैं। इस मामले पर आपकी यादास्त को ताजा करने के लिए मैं आपको इंडिया गठबंधन की कुछ बैठकों के बारे में याद दिलाना चाहता हूँ। ये तब की बात है जब देश ने पहली बार नीतीश जी की अगाई में बिहार में जाति आधारित गण‌ना पूरी हो चुकी थी”।


उन्होंने आगे लिखा, “हमारी पार्टी भी इंडिया गठबंधन की उन बैठने में हिस्सा ले रही थी। तब अक्सर यह हुआ कि जब भी नीतीश कुमार जी ने जाति आधारित गणना पर चर्चा करने की कोशिश की, उसका या तो विरोध किया गया था फिर आपके गठबंधन के नेताओं ने पीठ दिखाकर निकलना पसंद किया। आपके गठबंधन और उसके नेताओं के लिए दलित और पिछड़ा वर्ग सिर्फ सत्ता में आने का जरिया है। जब उन्हें हिस्सेदारी देने की बात आती है, तब आपकी, आपके गठबंधन के साथियों की, आपके गठबंधन के नेता श्री राहुल गांधी जी और उनसे पार्टी की नीयत में खोट साफ नजर आती है। केजरीवाल जी. आज देखा कि आप भी बाबा साहब के अनुयायी बन गए। दलित हितों की बात करने लगे। मगर पूरे देश में देखा है कि जब भी मौका मिला आपने दलितों को हिस्सेदारी से कोसों दूर रखा।