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हेमंत सोरेन के भविष्य पर राज्यपाल आज लेंगे फैसला, विधायकी गई तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे

हेमंत सोरेन के भविष्य पर राज्यपाल आज लेंगे फैसला, विधायकी गई तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे

26-Aug-2022 08:19 AM

RANCHI : झारखंड की सियासत के लिए आज का दिन बेहद खास है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर जो संकट मंडरा रहा है. उस मामले में आज राज्यपाल की तरफ से बड़ा फैसला आ सकता है. राजभवन के फैसले पर सबकी नजरें टिकी हुई है. माना जा रहा है कि राज्यपाल रमेश बस आज चुनाव आयोग की तरफ से दी गई रिपोर्ट के आधार पर कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं. एक विधायक के तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, क्योंकि चुनाव आयोग ने उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के तहत दोषी माना है. इस संवैधानिक धारा के अंतर्गत दोषी पाए जाने के बाद हेमंत सोरेन की विधायक की जानी है और आयोग में अपनी सिफारिश गुरुवार को ही राज्यपाल के पास भेज दी थी.


मौजूदा संकट से निकलने के लिए हेमंत सोरेन ने पहले से ही रणनीति बनानी शुरू कर दी है. अपनी विधायकी खत्म किए जाने के बाद हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं. इसके लिए उन्होंने संवैधानिक के जानकारों की राय ली है. हेमंत सोरेन राज्यपाल के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ से चर्चा यह भी है कि सोरेन अपनी जगह पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बना सकते हैं, लेकिन कल्पना सोरेन सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं इसको लेकर भी पहले से विवाद शुरू है. आपको बता दें कि चुनाव आयोग में लंबी सुनवाई के बाद हेमंत सोरेन के खिलाफ ऑफिस for-profit के मामले में दोषी करार दिया था. आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल के पास भेज दी थी. राज्यपाल ने गुरुवार को कोई फैसला नहीं किया, लेकिन आज इस मामले में राजभवन से फैसला आ सकता है.


अगर हेमंत सोरेन की सदस्यता चली भी जाए तो भी उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी रहेगी. जेएमएम के फिलहाल 30 से विधायक हैं. हेमंत सोरेन भले ही प्रत्यक्ष तौर पर मुख्यमंत्री ना रहे लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कमान उनके हाथों में ही रहेगी. कांग्रेस और आरजेडी जैसे सहयोगी दल जेएमएम का साथ छोड़ेंगे इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती. उधर भारतीय जनता पार्टी हर हाल में हेमंत सोरेन की विदाई करना चाहती है. बीजेपी लगातार हेमंत सोरेन के इस्तीफे की मांग कर रही है, लेकिन सुरेंद्र सोची समझी रणनीति के तहत कदम बढ़ा रहे हैं. ऐसे में राज भवन के ऊपर की नजरें टिकी हुई है.