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18-Oct-2019 03:34 PM
DESK: आज देश के युवा थोड़ी सा पिछे होने पर घबरा जाते हैं, युवावस्था में कदम रखते ही यदि समान परीस्थिती न मिले तो मानसिक तनाव से घिर जाते हैं. आंखों में सुनहरे सपने होते हैं लेकिन जमाने की ठोकर खाते ही वे सपने साकार होने से पहले ही दम तोड़ देती है.
वैसे युवाओं के लिए महाराष्ट्र कैडर के IPS मनोज शर्मा की कहानी एक बार जरुर पढ़नी चाहिए. IPS मनोज शर्मा के दोस्त अनुराग पाठक ने उनकी लाइफ पर एक किताब लिखी है, जिसका नाम है ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं’.
इस किताब में मनोज शर्मा की जिंदगी का हर वो संघर्ष दर्ज है जो एक आम इंसान को तोड़ देता. लेकिन मनोज शर्मा ने अपनी गर्लफ्रेंड के एक वादे पर अपनी इस संघर्ष को अपना स्ट्रॉग पिलर बनाया और आईपीएस बन गए.
मनोज शर्मा 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस हैं और वे अभी एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन मुंबई के पद पर हैं. मनोज शर्मा का जन्म मध्यप्रदेश के मुरैना में हुआ था. शुरू से ही मनोज को पढ़ाई करने में मन नहीं लगता था. वे बस पास होने के लिए पढ़ाई करते थे. नौवीं, दसवीं और 11वीं में नकल करके थर्ड डिवीजन में किसी तरह से पास हो गए मगर 12वीं में नकल करने का मौका नहीं मिला इसलिए फेल हो गए.
एक इंटरव्यू में मनोज ने बताया था कि उन्होंने सोचा था कि 12वीं पास होने के बाद टाइपिंग सीखकर जॉब कर लेंगे. पर एसडीएम ने स्कूल को टारगेट करके नकल नहीं करने दी. जिसके कारण मैं फेल हो गया. उस वक्त मैनें यह तय किया था कि ये एसडीएम बड़ा पावरफुल है, मुझे भी इसकी ही तरह बनना है.
मगर नकल न कर पाने के कारण 12वीं में फेल हो गया, इसके बाद रोजी रोटी के लिए मैं और मेरे भाई टेंपो चलाने लगे. उसके कुछ ही दिन बाद मैं ग्वालियर आ गया और पैसा खर्च न होने के कारण मैं मंदिर के भिखारियों के पास सोता था. इस दौरान कई दिन मुझे भूखा सोना पड़ा. पर एक दिन मेरी किस्मत ने साथ दिया और मुझे लाइब्रेरियन कम चपरासी का काम मिल गया. इसके बाद मैंने पढ़ना शुरू कर दिया और एसडीएम बनने की तैयारी करने लगा. पर मैं तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गया और यहां पढ़ाई के साथ बड़े घरों में कुत्ते टहलाने का काम करने लगा. पहले अटेंप्ट में मैनें प्री निकाल दिया लेकिन दूसरे, तीसरे अटेंप्ट में प्री में ही नहीं हुआ. इसके बाद मैं जिस लड़की से प्यार करता था उसे मैंने कहा कि अगर तुम हां कर दो और मेरा साथ दो तो मैं दुनिया पलट सकता हूं. उसने मेरा साथ दिया और मैं चौथे अटेम्प्ट में आईपीएस बन गया.