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27-Oct-2021 03:06 PM
PATNA: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत पटना के गंगा नदी में 20 लाख छोटी मछलियां छोड़ी गई। बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने मछुआरों से यह अपील की है कि वे छोटी मछलियों का शिकार न करें। यदि छोटी मछलियां जाल में फंसती है तो उसे वापस गंगा नदी में छोड़ दे उन्हे बड़ा होने दे छोटी मछलियों को ना मारे। मुकेश सहनी ने कहा कि मछलियों के गंगा में रहने से गंगा स्वच्छ और निर्मल होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मत्स्य संपदा योजना पूरे देश में चलाई जा रही है। उसी के तहत बुधवार को 20 लाख छोटी मछली गंगा नदी में छोड़ी गयी। इस मौके पर बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने बताया कि जब छोटी मछलियां बड़ी होगी तब मछुआरों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। मछली बड़ा होने पर सीधा लाभ मछुआरों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम आगे भी जारी रहेगा।
मुकेश सहनी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन पर पिछले दिनों 71 हजार मछलियां नदी में छोड़ी गयी। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जन्मदिन पर अगले साल 71 लाख छोटी मछलियों को गंगा नदी में छोड़ने का फैसला लिया है। मुकेश सहनी ने बिहार के मछुआरा भाई से यह अपील की है कि वे छोटी मछलियों को मारे नहीं बल्कि उसे गंगा नदी में ही रहने दें। इस तरह का अभियान वे पूरे बिहार में चला रहे हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत नदियों में मत्स्य पुनर्स्थापन कार्यक्रम का उद्घाटन रानी घाट पटना में किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप पर बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी, सचिव नर्मदेश्वर लाल, डॉ० श्रीमति सुवर्णा सी०, मुख्य कार्यपालक, एन०एफ०डी०बी०, हैदराबाद विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। पटना के अलावा यह कार्यक्रम वैशाली एवं मुजफ्फरपुर जिलों में भी आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम के तहत दो वर्षों में कुल 40.50 लाख मत्स्य बीजों का पुनर्स्थापन नदियों में किया जायेगा। इस कार्य हेतु मात्स्यिकी महाविद्यालय ढोली, समस्तीपुर नोडल एजेंसी एवं डा० शिवेन्द्र कुमार, नोडल पदाधिकारी नामित है। उक्त योजना हेतु कुल 121.5 लाख रूपये प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत् स्वीकृत है। रिवर रैचिंग कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन हेतु राज्य के चार जिले सारण, पटना, वैशाली एवं मुजफ्फरपुर चयनित है तथा तीन नदियों गंगा, गंडक एवं बुढ़ी गंडक का चयन किया गया है।
रिवर रचिंग कार्यक्रम का आयोजन पटना के रानीघाट में हुआ। इसके अलावे यह कार्यक्रम मुजफ्फरपुर में पिलखी घाट तथा वैशाली में सीढ़ी घाट में भी हुआ। सभी तीनों घाटों पर उद्घाटन समारोह के समय दो लाख मत्स्य अंगुलिकाओं का गंगा, गंडक एवं बुढ़ी गंडक में पुनर्स्थापन किया गया।
रिवर रेंचिंग कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित नदियों से अलग-अलग मत्स्य प्रजनक (बुडर) संग्रहित कर नियंत्रित रूप से कार्य हैचरी में ब्रिडिंग करायी गयी। उत्पन्न स्पॉन का अलग-अलग नर्सरियों में संवर्धन किया गया तथा उनसे विकसित अगुलिकाओं को संबंधित नदियों में पुनर्स्थापित किया जा रहा है। यह सभी कार्य मात्स्यिकी महाविद्यालय, ढोली स्थित हैचरी, नर्सरी एवं रियरिंग तालाबों में किया गया है।
गंगा नदी में पिछले 30 वर्षों में प्रति किलोमीटर मत्स्य उत्पादन में 10-12 गुणा हास हुआ है। उत्पादन में हास का मुख्य कारण मानव गतिविधियों, अविवेकीय मत्स्य दोहरन, पर्यावरण प्रदुषण आदि है। मत्स्य उत्पादन में हास के अतिरिक्त स्थानीय मुल्य की मत्स्य प्रजातीयों के विविधता, नदियों के जल की गुणवत्ता है एवं जीविकोपार्जन हेतु मत्स्य शिकारमाही पर निर्भर मछुआरों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
रिवर रेंचिंग योजना के क्रियान्वयन से स्थानीय मछलियों के प्रजाति के जर्म-पलाज्म का पुनर्स्थापन तथा जैव विविधता का संतुलन एवं संरक्षण हो सकेगा तथा प्रति इकाई क्षेत्रफल में मत्स्य उत्पादन में अभिवृद्धि से जीविकोपार्जन हेतु शिकारमाही पर निर्भर मछुआरों की आयु बढ़ोतरी होगी तथा उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।