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02-Dec-2021 05:55 PM
PATNA: पटना के डीएम औऱ एसएसपी के काफिले के लिए मंत्री की गाड़ी रोकने के मामले को रफा-दफा करने की कवायद तेज हो गयी है। वैसे तो विधानसभा अध्यक्ष ने डीजीपी औऱ गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को तलब किया है, लेकिन सरकार के स्तर पर मामले को रफा दफा करने की कोशिश किये जाने की चर्चा आम है। उधर नाराज मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा- ये मंत्री औऱ विधायक के सम्मान का मामला है, अगर अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे चुप बैठने वाले नहीं हैं।
डीजीपी औऱ अपर मुख्य सचिव स्पीकर के पास पहुंचे
वैसे इस मामले में सरकार का पक्ष रखने बिहार के डीजीपी औऱ गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव विधानसभा अध्यक्ष के पास पहुंच चुके हैं। दोनों को शाम के 6 बजे तलब किया गया है। दोनों अधिकारी स्पीकर के सामने ये बतायेंगे कि किन परिस्थितियों में मंत्री की गाड़ी को रोका गया था।
सीएम के नाम पर लीपापोती की कोशिशें
मंत्री जीवेश मिश्रा ने आज बिहार विधानसभा में अपने साथ हुए वाकये को सार्वजनिक कर सरकार की पोल खोल दी थी। जीवेश मिश्रा ने विधानसभा में बताया कि जिस गेट से सिर्फ सीएम की गाड़ी आती है उसी गेट से पटना के डीएम और एसएसपी की गाड़ी आयी। दोनों की गाड़ी आने के लिए मंत्री की गाड़ी तक को रोक दिया गया। जब मंत्री के साथ ये सलूक हो सकता है तो विधायकों के साथ क्या होगा। मंत्री दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जिद पर अड़े हैं।
लेकिन सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि पटना के डीएम और एसएसपी को बचाने के लिए कहानी तैयार कर ली गयी है. प्रशासन ये कह रहा है कि मंत्री की गाड़ी को डीएम-एसएसपी के काफिले के लिए नहीं बल्कि सीएम के काफिले के लिए रोका गया था. डीएम-एसएसपी की गाड़ी तो सीएम के काफिले में थी. इसलिए डीएम-एसएसपी ही नहीं बल्कि ट्रैफिक पुलिस के किसी जवान तक का कोई कसूर नहीं है. इसी तर्क के सहारे मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है।
मंत्री ने कहा-लीपापोती की सारी कवायद को जान रहा हूं
उधर मंत्री जीवेश मिश्रा ने फिर से कहा है कि वे इस मामले की लीपापोती को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सीएम का काफिला गुजरने के बाद पटना के डीएम और एसएसपी विधानसभा पहुंचे थे. विधानसभा में लगे सीसीटीवी कैमरों में इसका फुटेज होगा. प्रशासन का झूठ वे बर्दाश्त नहीं करेंगे. मंत्री ने कहा कि स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता. वे विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि अध्यक्ष ही सर्वोपरि हैं. लेकिन अगर अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे आगे का फैसला लेंगे।