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06-Jun-2020 04:59 PM
PATNA : कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच जहां पटना में ज्यादातर हॉस्पिटल बंद हो गये वहीं तमाम परेशानियों को दरकिनार कर पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल मरीजों को अपनी सेवा देता रहा। लॉकडाउन पीरियड में भी डाक्टरों द्वारा ओपीडी परामर्श के साथ-साथ सभी तरह के ऑपरेशन भी किये गये। हृदय रोग, न्यूरो संबंधी बीमारी तथा हड्डी रोग से संबंधित बीमारियों का ऑपरेशन यहां लगातार किया जा रहा है। सबसे सुरक्षित और अत्याधुनिक सेवाओं के साथ पारस हॉस्पिटल ने लॉकडाउन में नया रिकार्ड कायम कर दिया।
पारस हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि हमारे यहां अनुभवी व विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम तथा यहां उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं के बीच सुरक्षित ऑपरेशन करती है। यहां सारे मरीजों का ऑपरेशन यह सोच कर तय किया जाता है कि मरीज को पहले से कोरोना हो सकता है ताकि ऑपरेशन से पहले उनकी सुरक्षा पूरी तरह से सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए सरकार द्वारा तय किये गये मापदंड के अनुसार ही जांच किये जाते हैं। यदि किसी बीमारी का इलाज सिर्फ ऑपरेशन है तो उसमें यह देखा जाता है कि ऑपरेशन अभी तुरंत करना जरूरी है या कुछ दिनों तक इसे टाला जा सकता है। एक निश्चित अवधि के बाद इसे टाला भी नहीं जा सकता है। ऐसे में ऑपरेशन कराना अनिवार्य हो जाता है। हम बीमारी की गंभीरता तथा कोरोना वायरस की संक्रमणता को ध्यान में रखकर ही सुरक्षित ऑपरेशन करते हैं। बहुत सारे ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिनका ऑपरेशन तत्काल या कुछ समय बाद कराना आवश्यक हो जाता है।
हॉस्पिटल के रीजनल डायरेक्टर डॉ. तलत हलीम ने कहा कि हमनें अपने हेल्थ केयर वर्करों तथा मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए सेनिटाइजेशन की मुकम्मल व्यवस्था कर रखी है तथा सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया जाता है। हॉस्पिटल पहुंचने वाले हर व्यक्ति को मुख्य गेट पर ही सेनिटाइजेशन की व्यवस्था है। कुर्सियों की कतार में एक स्थान खाली रखने के बाद बैठने की व्यवस्था है। रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक में पूरे हॉस्पिटल परिसर को सेनिटाइज किया जाता है। सीढ़ियां, लिफ्ट, कुर्सी, टेबल आदि को भी संक्रमणमुक्त किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमने पूरे लॉकडाउन में कभी भी अपनी ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं बंद नहीं की, साथ ही ऑपरेशन भी किये जाते रहे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में भी हमारे यहां एक सौ से अधिक ऑपरेशन किये गये। कैंसर के 50 से अधिक मरीजों को रेडिएशन किया गया जबकि 200 से भी अधिक मरीजों को कीमोथेरेपी दी गयी।