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09-Jun-2021 08:25 PM
PATNA : बिहार में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई मौत का छिपाने का सरकारी खेल अब सामने आने लगा है. बिहार में सरकार ने तकरीबन 4 हजार लोगों की मौत का आंकडा छिपा लिया था. सरकार ने अब तक कोरोना से 5 हजार 458 मौत होने की जानकारी दी थी. अब पता चला है कि सरकारी आंकडों के मुताबिक ही 9 हजार 375 लोगों की मौत हुई. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने ये बात स्वीकारी है. लेकिन हम आपको बता दें कि ये वो आंकडा है जिसे अब सरकार स्वीकार कर रही है. श्मशान से लेकर कब्रिस्तानों का आंकड़ा जोड लिया जाये तो ये तादाद कई गुणा ज्यादा होगी.
मौत की संख्या में बड़े पैमाने पर हेराफेरी
दरअसल कोरोना के कहर के बीच बिहार सरकार हर दिन कोरोना से होने वाली मौत का आंकडा जारी कर रही थी. सरकार के पास जिलों से रिपोर्ट भेजे जा रहे थे, उन्हें जोड़ कर मौत का पूरा आंकडा जारी किया जा रहा था. अब सरकारी जांच में पता चला कि जिलों से मृतकों की जो संख्या भेजी जा रही थी उसमें बड़े पैमाने पर हेरा फेरी की गयी. जिलों ने मृतकों की सही संख्या भेजी ही नहीं. लिहाजा गलत आकंडे जारी किये गये.
बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने आज स्वीकारा कि कोरोना से होने वाली मौत का सही आंकडा सामने नहीं आया था. उनके मुताबिक सरकार ने जब अपने स्तर से जांच करायी तो ये बात सामने आ रही है. अपर मुख्य सचिव बोल रहे हैं कि जिन्होंने गडबड़ी की औऱ सही संख्या की जानकारी नहीं दी उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
प्रत्यय अमृत ने बताया कि पिछले 18 मई को ही राज्य सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत को लेकर जांच कराने का आदेश जारी किया था. इसके लिए जिलों में दो तरह की टीम बनायी गयी. एक टीम में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ साथ कॉलेज के मेडिसिन विभाग के हेड को रखा गया था. वहीं दूसरी टीम सिविल सर्जन के नेतृत्व में बनायी गयी जिसमें एक औऱ मेडिकल ऑफिसर शामिल थे. दोनों स्तर पर जब जांच की गयी तो पता चला कि मौत के आकड़ों को छिपाया गया. सरकार को गलत जानकारी दी गयी.
सरकार ने कहा कार्रवाई करेंगे लेकिन तारीख नहीं बतायी
कोरोना से हुई मौत के मामलों में बड़ी गड़बडी उजागर होने के बाद सरकार कह रही है कि दोषियों पर कार्रवाई करेंगे. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि ये गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि जिन्होंने गडबड़ी की है उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. लेकिन कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी औऱ कब तक ये कार्रवाई होगी इस पर स्वास्थ्य विभाग औऱ सरकार चुप्पी साध कर बैठ गयी है.
मौत के आंकड़ों में हेराफेरी पर सरकार का तर्क जानिये
वैसे सरकार ये भी कह रही है कि कोरोना से हुई मौत का सही आंकडा सामने नहीं आया तो इसमें सिर्फ सरकार या सरकारी तंत्र का ही दोष नहीं है. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि बहुत सारे लोगों की मौत होम आइसोलेश में हो गयी. बहुत सारे लोग संक्रमित होने के बाद दूसरे जिले में चले गये, जहां उनकी मौत हो गयी. कई मौत अस्पताल ले जाने के क्रम में हुई. कुछ पोस्ट कोविड मौत भी हुई. ऐसे में उनका सही आंकड़ा नहीं मिल पाया. फिर भी बडे पैमाने पर लापरवाही हुई है औऱ इस पर कार्रवाई होगी.
लेकिन इस आंकडे को सही कैसे माना जाये
बिहार में सरकार कोरोना से अब 9 हजार 375 लोगों की मौत होने की बात स्वीकार रही है वो उस संख्या से कई गुणा कम है जो श्मशान औऱ कब्रिस्तान से आयी है. दरअसल सरकार कह रही है कि कोरोना से मौत तभी मानी जायेगी जब जांच में मृत व्यक्ति पहले से ही पॉजिटिव पाया जा चुका हो. लेकिन
बिहार के ऐसे कई गांव या इलाके हैं जहां बड़ी तादादा में लोग कोरोना जैसे लक्षण से मरे. लेकिन वहां जांच की कोई व्यवस्था ही नहीं थी. लिहाजा उनकी मौत को कोरोना से मौत मानी ही नहीं जायेगी.
हाईकोर्ट में खुल चुकी है सरकार की कलई
सरकारी आंकड़े की हकीकत पटना हाईकोर्ट में दायर की गयी एक सरकारी रिपोर्ट मे खुली थी. दरअसल बक्सर में गंगा नदी में शव मिलने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि बक्सर में कोरोना से कितनी मौत हुई. इसके बाद सरकार के दो अधिकारियों ने हाईकोर्ट में अलग अलग रिपोर्ट दाखिल की थी. बिहार सरकार के मुख्य सचिव की ओऱ से कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर में एक से 13 मई के बीच बक्सर में केवल छह मौते हुई हैं. वहीं दूसरी ओर पटना आयुक्त की रिपोर्ट में बताया गया कि पांच मई से 14 मई के बीच बक्सर के सिर्फ एक घाट पर 789 शवों का दाह-संस्कार हुआ है. आंकडों का ये अंतर बताने के लिए काफी है कि कोरोना को लेकर क्या खेल हुआ.