AIMIM में टिकट बंटवारे को लेकर बवाल, प्रदेश अध्यक्ष पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप BIHAR ELECTION 2025: बेतिया में कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय का विरोध, टिकट बंटवारे में अनदेखी का आरोप BIHAR ELECTION 2025: बड़हरा से RJD ने रामबाबू सिंह पर जताया भरोसा, सिंबल मिलते ही क्षेत्र में जश्न Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Patna Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच पटना से JDU नेता अरेस्ट, इस मामले में हुई गिरफ्तारी Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दाखिल किया नामांकन, बिहार चुनाव में दिखाएंगे ताकत Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दाखिल किया नामांकन, बिहार चुनाव में दिखाएंगे ताकत Bihar Election 2025: बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, RLJP चीफ पशुपति पारस का बड़ा एलान Bihar Election 2025: बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, RLJP चीफ पशुपति पारस का बड़ा एलान Bihar Assembly Election : ऐसे होगी बुर्के-घूंघट वाली वोटर्स की पहचान, चलेगा टीएन शेषन वाला आदेश
27-Mar-2020 07:40 AM
DESK : चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है, इस दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की अराधना की जाती है. मां की पूजा करने से भक्तों में वीरता, निर्भयता, सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
माता अपने मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा धारण करती हैं, इस वजह से उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. मां चंद्रघंटा की 10 भुजाएं हैं, जो कमल, कमंडल और विभिन्न अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हैं. मां युद्थ की मुद्रा में सिंह पर सवार रहती है. कहा जाता है की भगवान शिव से विवाह के बाद देवी महागौरी अपने ललाट पर आधा चंद्रमा धारण करने लगीं थी. इसके बाद से उन्हें चंद्रघंटा कहा जाने लगा.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने असुरों के बढ़ते प्रभाव को खत्म करने के लिए चंद्रघंटा स्वरूप में अवतरित हुईं.
पूजा विधि
मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना करने से भक्तों में वीरता, निर्भयता, सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है. देवी मां की अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि अर्पित कर पूजा करें. इसके बाद माता के मंत्र का उच्चारण करें. फिर अंत में कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर उनकी आरती उतारें और शंखनाद के साथ घंटी बजाएं. मां चंद्रघंटा को चमेली के पुष्प अति प्रिय है. ऐसा कहा जाता है की यदि आप पूजा में उनको चमेली का पुष्प अर्पित करें तो आपके लिए फलदायी होगा.
मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
मां चंद्रघंटा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महिषासुर राक्षस ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया. उसने देवराज इंद्र को युद्ध में हराकर स्वर्गलोक पर विजय प्राप्त कर ली और स्वर्गलोक पर राज करने लगा.
युद्ध में हारने के बाद सभी देवता इस समस्या के निदान के लिए त्रिदेवों के पास गए. देवताओं ने भगवान विष्णु, महादेव और ब्रहमा जी को बताया कि महिषासुर ने इंद्र, चंद्र, सूर्य, वायु और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और उन्हें बंदी बनाकर स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया है.
देवताओं ने बताया कि महिषासुर के अत्याचार के कारण देवताओं को धरती पर निवास करना पड़ रहा है. देवताओं की बात सुनकर त्रिदेवों को क्रोध आ गया और उनके मुख से ऊर्जा उत्पन्न होने लगी. इसके बाद यह ऊर्जा दसों दिशाओं में जाकर फैल गई. उसी समय वहां पर देवी चंद्रघंटा ने अवतार लिया. भगवान शिव ने देवी को त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र दिया. इसी तरह अन्य देवताओं ने भी मां चंद्रघंटा को अस्त्र शस्त्र प्रदान किए. इंद्र देव ने मां को अपना वज्र और घंटा भेट में प्रदान किया. भगवान सूर्य ने मां को तेज और तलवार दिए. इसके बाद मां चंद्रघंटा को सवारी के लिए शेर भी दिया गया. मां अपने अस्त्र शस्त्र लेकर महिषासुर से युद्ध करने के लिए निकल पड़ीं.