ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election 2025: ‘लालू का अपना इतिहास रहा है, वह खुद सजायप्ता हैं’ रीतलाल यादव के लिए रोड शो करने बर बोले दिलीप जायसवाल Bihar Election 2025: ‘लालू का अपना इतिहास रहा है, वह खुद सजायप्ता हैं’ रीतलाल यादव के लिए रोड शो करने बर बोले दिलीप जायसवाल Bihar Election 2025 : पहले चरण के चुनाव प्रचार के आखिर दिन अमित शाह के बड़े वादे,कहा - डिफेंस कॉरिडोर, नई रेललाइन और रामायण सर्किट से बदलेगा बिहार का भविष्य Bihar Election 2025: ‘महाठगबंधन के आधे लोग जेल में हैं, आधे बेल पर’, शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला Bihar Election 2025: ‘महाठगबंधन के आधे लोग जेल में हैं, आधे बेल पर’, शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला Success Story: “एक दिन तू अफसर बनेगी…”, 5 साल की उम्र में माता-पिता को खोया, फिर भी नहीं मानी हार; कड़ी मेहनत से बनीं IPS अधिकारी Bihar road accident : बिहार के रोहतास में दर्दनाक सड़क हादसा, ट्रेनी सिपाही और पिता की मौत Hak Movie 2025: कानूनी पचड़े में फंसी इमरान हाशमी और यामी गौतम की फिल्म ‘हक’, कोर्ट पहुंचा शाह बानो का परिवार Bihar Assembly Election 2025 : जानिए आज शाम 5 बजे से किन चीजों पर लग जाएगी रोक, साइलेंस पीरियड लागू होने के बाद आयोग इन चीजों पर रखती हैं सख्त निगरानी Patna News: PMCH में नए चर्म रोग और मेडिसिन वार्ड का उद्घाटन, मरीजों को मिलेगी आधुनिक सुविधाएं

जातीय जनगणना को लेकर JDU से अलग हुई बीजेपी, कहा.. 2011 की गलती दोहराना सही नहीं

जातीय जनगणना को लेकर JDU से अलग हुई बीजेपी, कहा.. 2011 की गलती दोहराना सही नहीं

24-Sep-2021 04:11 PM

PATNA : देश में जातिगत जनगणना को लेकर लंबे वक्त से बहस छिड़ी है. जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई जातिगत जनगणना नहीं होने जा रही. हालांकि बिहार में JDU समेत विपक्षी पार्टियों की मांग जातिगत जनगणना कराने की रही है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के प्रतिनिधिमंडल के साथ जाकर पीएम मोदी से जातीय जनगणना कराने की मांग कर चुके हैं. लेकिन अब केंद्र के इनकार करने के बाद एक बार फिर यह मुद्दा बिहार में गरमा चुका है. एनडीए नेताओं के बयानों में अंतर आने शुरू हो गए हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जातीय जनगणना कराने से केंद्र के इनकार करने के फैसले को सही बता दिया है. 


संजय जायसवाल ने कहा कि 2011 में सामाजिक, आर्थिक जनगणना में सरकार यह देख चुकी है कि जाति आधारित जनगणना कराना फिलहाल पूरी तरह अव्‍यवहारिक है. उन्‍होंने कहा कि 2011 की जनगणना जाति का मकसद जातियों का आंकड़ा प्राप्‍त करना नहीं था, लेकिन इसमें लोगों ने चार लाख 28 हजार जातियों का जिक्र कर दिया. इतनी अधिक संख्‍या में जातियों का डाटा प्रोसेस करना आसान नहीं है. 


संजय जायसवाल ने बताया कि बहुत से लोगों को खुद ही यह नहीं पता कि वह सामान्‍य जाति में हैं या ओबीसी में. किसी ने अपना टाइटिल चौहान बताया तो वह सामान्‍य जाति का भी हो सकता है और आरक्षित श्रेणी का भी. इस तरह से सरकार द्वारा इकट्ठा किये गए आंकड़े गलत हो गए थे. इसलिए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि इन सब समस्याओं के साथ जातीय जनगणना नहीं की जा सकती है. 


उन्होंने कहा कि 2011 में जो गलतियां हुईं जातीय जनगणना कराकर, उसे दोबारा दोहराना उचित नहीं होगा. जहां तक बात 1921 में हुई जातीय जनगणना की बात की जाति है तो उस समय भी अंग्रजों ने भी केवल 24 जातियों की ही जनगणना करवाई थी. उस समय देश में केवल 24 जातियां ही थीं लेकिन आज के परिवेश की बात की जाए तो 2011 में हुए जातीय जनगणना के अनुसार चार लाख 28 हजार जातियों की जनगणना करना कहीं से भी उचित नहीं है, वह भी तब जब सरकार के पास एकदम सही आंकड़े नहीं आ पा रहे हों.