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21-May-2021 08:01 AM
MADHUBANI : सुशासन वाले बिहार में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की सबसे बेहतरीन तस्वीर में से एक को देखना है तो इस खबर के साथ लगी तस्वीर को देखिये. झोपडी के आगे बंधी गायों को देख कर आप जिसे तबेला समझ रहे हैं वह सरकार का स्वास्थ्य केंद्र है. यहां न कोई डॉक्टर आता है न नर्स. कागजों में इसे स्वास्थ्य केंद्र घोषित कर दिया है. बिहार में भीषण महामारी के दौर में भी स्वास्थ्य केंद्र ऐसे ही चल रहे हैं.
मधुबनी की है ये तस्वीर
बिहार की नीतीश सरकार जिस हेल्थ सिस्टम के कायाकल्प का दावा कर रही है उसकी सबसे नंगी तस्वीर यही है. मधुबनी जिले में खजौली प्रखंड के सुक्की गांव की ये तस्वीर है. प्रखंड मुख्यालय से इस गांव की दूरी सिर्फ चार किलोमीटर है. तबेले वाले एक आधे कच्चे औऱ आधे पक्के घऱ पर बोर्ड टंगा है-सरकारी स्वास्थ्य केंद्र. स्थानीय लोग बताते हैं कि 1990 के दशक में इस स्वास्थ्य केंद्र को सरकार ने खोला था. पिछले दस सालों से यहां सिर्फ गाय-भैंस ही दिखे हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि गांव के किशोरी सिंह नाम के एक व्यक्ति के घर पर ये स्वास्थ्य केंद्र खुला है. सरकारी कागजातों के मुताबिक यहां सरकार ने फिलहाल एक एएनएम की तैनाती कर रखी है जिनका नाम मंजुला कुमारी है. वे कहां रहती है, कब इस स्वास्थ्य केंद्र में आती है, जिसका स्वास्थ्य जांचती है ये गांव वालों को पता नहीं.
गांव वालों को पिछले 15 सालों से ये पता ही नहीं कि यहां कोई इलाज भी होता है. हां, एक जर्जर पुराना बोर्ड इस घऱ पर टंगा जरूर दिख जाता है जिससे पता चलता है कि ये सरकार का हेल्थ सेंटर है. दलितों-अति पिछडों की बहुलता वाले इस गांव में कोरोना जैसी लक्षण वाली बीमारी खूब फैली है. गांव वाले बताते हैं कि सर्दी-खांसी औऱ बुखार से कई लोग पीडित हैं. लेकिन आज तक न कोई जांचने आया औऱ ना ही कोई इलाज की व्यवस्था हुई. गांव वाले खुद ही दवा दुकानदारों से पूछ कर या झोला छाप डॉक्टरों की सलाह पर दवा ले रहे हैं. गांव