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बिहार में शराब माफिया पर और सख्त हुई नीतीश सरकार,अब PMLA 2002 कानून के तहत होगी कार्रवाई

बिहार में शराब माफिया पर और सख्त हुई नीतीश सरकार,अब PMLA 2002 कानून के तहत होगी कार्रवाई

03-Mar-2022 08:18 PM

DESK: बिहार में पूर्ण शराबबंदी है। अब बिहार में शराब माफिया पर और सख्ती बरती जाएगी। शराब माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नीतीश सरकार ने यह फैसला लिया है कि PMLA 2002 एक्ट के तहत अब शराब माफिया पर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस महानिदेशक मद्य निषेध अमृत राज ने निर्देश जारी किया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलों के एसपी और एसएसपी से उन्होंने बात की और शराब माफिया के खिलाफ PMLA का प्रस्ताव मुख्यालय को भेजे जाने का निर्देश दिया। शराब माफिया पर अब मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई होगी। मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) कानून के तहत उनकी संपत्तियां जब्त होगी।  


बता दें कि बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू कराया जा रहा है। इसे लेकर सरकार सख्त है। शराब माफिया को ढूंढने के लिए खोजी कुत्ते मंगवाये गये, ड्रोन और हेलीकॉप्टर उड़ाकर शराब के ठिकाने की तलाश की जा रही है। सुदूर इलाकों में शराब के धंधेबाजों पर नजर रखने के लिए 5 सेटेलाइट फोन भी खरीदे गये। वही बीते दिनों सरकार ने यह भी ऐलान किया कि अब शराबियों को जेल नहीं भेजा जायेगा। शराब पीकर गिरफ्तार हुआ आदमी अगर ये बता देता है कि उसने शराब कहां से और किससे खरीदी थी तो सरकार उसे जेल नहीं भेजेगी। 


सरकार अब शराब माफिया पर सख्ती बरतेगी। शराब माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। PMLA 2002 एक्ट के तहत शराब माफिया पर कार्रवाई करने का फैसला सरकार ने लिया है। शराब माफिया पर अब मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई होगी। मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) कानून के तहत उनकी संपत्तियां जब्त होगी।  


शराब माफियाओं के विरुद्ध मनी लांड्रिंग का भी केस चलेगा। इस बाबत पुलिस मुख्यालय ने जिलों के अधिकारियों से चिह्नित किए गए शराब माफियाओं का प्रस्ताव मांगा है, जिन पर प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट के अधीनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। बिहार पुलिस मुख्यालय में गुरुवार को समन्वय समिति की बैठक में इस बाबत निर्देश जारी किया गया। इसमें सभी क्षेत्र के आइजी-डीआइजी के साथ जिलों के एसएसपी व एसपी भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे।


धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के मुख्य उद्धेश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना,मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना है। धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण प्रवर्तन निदेशालय है। धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत दंड का प्रावधान है। 


मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न कार्रवाइयाँ शुरू की जा सकती है। जैसे; अपराध के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति और रिकॉर्ड आदि को जब्त की जा सकती है। धन शोधन के अपराध के लिए कम से कम 3 वर्ष का कठोर कारावास, जिसे 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि धन शोधन के अपराध के साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा हो सकती है।