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19-Oct-2021 07:34 AM
PATNA : बिहार में जमीन से जुड़े मामलों में लगातार सुधार के लिए बदलाव कर रही नीतीश सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। राज्य के अंदर अब जमीन मापी के लिए एक बराबर शुल्क भी देना होगा। राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा है कि राज्य में जमीन माफी के लिए अलग-अलग होने से परेशानी होती है। किसानों की शिकायत विभाग को मिली है और मौजूदा व्यवस्था में शिकायतें दूर करना संभव नहीं है, लिहाजा विभाग ने यह तय किया है कि जमीन मापी की पूरी व्यवस्था ही बदल दी जाए। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है। फिलहाल अमीन के एक दिन के वेतन के आधार पर ही माफी का शुल्क तय किया जाता है।
मंत्री रामसूरत राय ने राज्यभर के लिए एक शुल्क तय करने का निर्देश विभाग के अधिकारियों को दिया है। जमीन मापी के लंबित आवेदनों का जल्द निपटारा हो सके और उसके दौरान निष्पक्षता का ख्याल रखा जाए इसको लेकर भी प्रयास जारी है। राजस्व विभाग में जिलों में जमीन माफी के लिए समान दर तय करने पर अब मंथन भी शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि विभाग में हाल ही में संविदा के आधार पर जमीनों की नियुक्ति की है उनके वेतन के आधार पर ही नई दरें तय होंगी। बड़ी बात यह है कि नई व्यवस्था के अंदर एक जमीन की मापी कराने पर कितना समय लगता है इसे लेकर चार्ज तय नहीं होगा। एक कट्ठा जमीन की मापी राज्य के किसी भी अंचल में अगर कराई जाए तो उसके लिए एक ही दर तय होगी। जमीन मापी का दर तय करने के लिए अमीनो के वेतन के घटने और बढ़ने से कोई संबंध नहीं होगा।
बिहार में जो मौजूदा व्यवस्था लागू है उसके मुताबिक अगर नियमित बहाली के तहत कार्यरत अमीन से जमीन की मापी कराई जाती है तो एक दिन के लिए लगभग तीन हजार रुपये देने पड़ते हैं। अगर मापी एक दिन में पूरी नहीं हो पाई और 2 दिन लग गए तो यह रकम भी दोगुनी हो जाती है। इसी तरह है संविदा पर काम करने वाले अमीन से अगर जमीन की मापी कराई गई तो एक हजार की राशि देनी पड़ती है। ऐसे में जमीन मालिकों को मापी कराने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब नई व्यवस्था यह होगी कि एक जमीन की मापी चाहे एक दिन में हो या दो दिन में तय रकम ही दी जाएगी।