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29-Jun-2023 03:45 PM
By First Bihar
MADHUBANI: एक ओर जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हेल्थ मिनिस्टर तेजस्वी यादव बिहार के विकास की बातें करते हैं। बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था और सुविधाओं के साथ-साथ करप्शन खत्म करने और जीरो टोलरेंस की बात करते हैं लेकिन उनके लाख कोशिशों के बावजूद सरकारी कार्यालयों में अवैध वसूली का धंधा जारी है। आए दिन इस तरह की खबरें सामने आती है। निगरानी की टीम ऐसे घूसखोंरों को दबोचती भी है लेकिन इसके बावजूद इन लोगों में मानों किसी तरह का खौफ नहीं है। ऐसा लगता है कि इन्हें नौकरी जाने तक का डर नहीं है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जो मधुबनी सदर अस्पताल की बतायी जा रही है। हालांकि फर्स्ट बिहार इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता यह जांच का विषय है। लेकिन इस वीडियो में जो वार्तालाप हो रहा है उससे यह पता चलता है कि मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के लिए एक व्यक्ति दफ्तर पहुंचा था जिससे वहां के कर्मचारी बासुकीनाथ पूर्व पांच सौ रुपये मांगने लगे। कहने लगा कि सिविल सर्जन के आदेश से पांच सौ रूपया मांग रहे हैं. इसके लिए रसीद भी दे रहे है। बिना पांच सौ रूपया दिये मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बनता।
लेकिन सिविल सर्जन से जब इसे बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर उगाही हो रही है जबकि ऐसा है कि प्रमाण पत्र के लिए सरकारी की ओर से किसी तरह का कोई शुल्क निर्धारित नहीं है। मधुबनी सदर अस्पताल में इसके नाम पर पैसे वसूली जा रहे हैं। वायरल वीडियो में स्वास्थ्य कर्मी पूर्वे ने पांच सौ रुपये युवक से मांगे लेकिन उसने साढ़े तीन सौ रुपये दिये।
जिसके बाद उन्होंने एक घंटे में सर्टिफिकेट ले जाने को कहा और युवक को एक घंटे के भीतर सर्टिफिकेट बनाकर भी दे दिया। लेकिन किसी तरह का कोई रसीद युवक को नहीं दिया गया। जब युवक ने रसीद मांगे तो कर्मचारी ने कहा कि पांच सौ रुपये देने पर ही रसीद दिया जाएगा उससे कम पैसे देने पर किसी तरह का रसीद हम नहीं देते है। युवक ने बिना रसीद के साढ़े तीन सौ रुपया दिया और सर्टिफिकेट प्राप्त किया।
युवक ने स्पाइ कैमरे से यह वीडियो कैप्चर कराया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है जो अब खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो को देख मधुबनी के लोगों का कहना है कि यहां के सदर अस्पताल में दिव्यांग सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण पत्र, मेडिकल सर्टिफिकेट सहित अन्य प्रमाण पत्रों को बनाने का दाम फिक्स है।
जब तक पैसा नहीं दिया जाता तब तक प्रमाण पत्र के लिए लोगों को दौड़ना पड़ता है। प्रमाण पत्र पाने के लिए लोगों के चप्पल तक घिस जाते हैं। इस परेशानी से बचने के लिए लोग पैसे देकर काम कराने में ही अपनी भलाई समझते हैं। सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद अब विभाग और सरकार क्या कार्रवाई करती है यह देखने वाली बात होगी।