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22-Feb-2023 04:19 AM
By First Bihar
PATNA: बिहार में मैट्रिक की परीक्षा चल रही है जिसमें 16 लाख से ज्यादा छात्र-छात्रायें शामिल हो रही हैं. बिहार बोर्ड मैट्रिक की परीक्षा ले रहा है. लेकिन अब ऐसे मामले सामने आने लगे हैं जिससे बिहार बोर्ड पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. मैट्रिक परीक्षा में परीक्षार्थियों से सवाल ही गलत पूछे जा रहे हैं. ऐसे में परीक्षार्थी जवाब क्या देंगे.
हिन्दी की परीक्षा में पूछे गये गलत सवाल
दो दिन पहले मैट्रिक परीक्षा 2023 में हिंदी विषय की परीक्षा में पूछे गए सवाल से बिहार बोर्ड खुद सवालों के घेरे में आ गया है. बिहार बोर्ड ने ऐसे सवाल पूछे हैं जिससे हिन्दी के सारे प्रकांड विद्वान भी चकरा जायें. परीक्षा के बाद छात्र जब प्रश्न पत्र लेकर लौटे तो कई लोगों ने ये गलतियां पकड़ी है. फर्स्ट बिहार की पड़ताल में भी ये बात सामने आयी है कि बिहार बोर्ड ने सवाल ही ऐसा पूछा जिसका सही जवाब दे पाना किसी के लिए मुमकिन नहीं है.
दरअसल हिन्दी की परीक्षा में कम से कम ऐसे दो सवाल पूछे गये जिसका सही जवाब कोई परीक्षार्थी नहीं दे पाया होगा. हिंदी प्रथम पाली की परीक्षा में 32 और 37 नंबर प्रश्न का जवाब परीक्षार्थी ने कुछ भी दिया हो, उसे कोई अंक शायद नहीं मिलने वाला है. हिन्दी के सवाल में पहली गलती प्रश्न संख्या 32 में दिखी. बिहार बोर्ड ने सवाल पूछा कि ‘इन मुसलमान हरिजनन पै, कोटिन हिंदु वारिये’ किस कवि का कथन है.
सही उत्तथर का ऑप्शन ही नहीं
इस सवाल का जवाब देने के लिए चार नामों में से एक चुनने को कहा गया. ये चार नाम हैं-गुरूनानक, प्रेमचंद, रसखान और घनानंद. बिहार बोर्ड ने वैकल्पिक उत्तर में जिन कवियों के नाम दिए उनमें से किसी ने ये लाइन लिखी या कही ही नहीं है. ये वाक्य कथन महान कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का है. उन्होंने पठान वंश के कवि रसखान की रचना से मुग्ध होकर कहा था- इन मुसलमान हरिजनन पै, कोटिन हिंदु वारिये. दरअसल रसखान ने कृष्ण की लीला रची थी.
दूसरा सवाल भी गलत
मैट्रिक परीक्षा में हिन्दी विषय के प्रश्न पत्र में दूसरी गलती भी सामने आयी है. परीक्षार्थियों से सवाल पूछा गया कि मीर मुंशी ने किस कवि का वध किया था. चार वैकल्पिक उत्तर में रामधारी सिंह दिनकर, गुरु नानक, अज्ञेय तथा घनानंद का नाम दिया गया और परीक्षार्थियों को उनमें से एक को चुनने को कहा गया. अब हिंदी की किताबें बताती हैं कि कवि घनानंद ही तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीले के दरबार में मीर मुंशी का काम करते थे. कवि घनानंद सन् 1739 में नादिर शाह के सैनिकों के हाथों मारे गए थे. उन्होंने किसी कवि का वध नहीं किया था. ऐसे में ये सवाल ही गलत है कि मीर मुंशी ने किसी कवि का वध किया था.