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11-Dec-2019 06:30 PM
PATNA : 'बिहार में बहार है, अपराधियों की भरमार है' कह कर विपक्ष बार-बार नीतीश सरकार को घेरता रहा है। हाल के दिनों की बात करें तो बिहार का क्राइम ग्राफ तेजी से उछल मार रहा है। अपराधियों के बढ़ते मनोबल ने जहां बिहार के डिप्टी सीएम को अपराधियों के आगे हाथ जोड़ने पर मजबूर कर दिया तो बिहार के डीजीपी को भी अपराधियों से डर लगने लगा। ऐसे में एक बड़ा ही रोचक आंकड़ा सामने आया जिसमें पता चला कि बिहार के 170 सांसदों-विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। हालांकि ये थोड़ा सकून देने वाली बात जरूर है कि बिहार के इन माननीयों पर आपराधिक आंकड़ों में महिला उत्पीड़न के मामले नगण्य ही हैं।
बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स ( ADR) ने बिहार से लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले वर्तमान में सांसदों और विधायकों और उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है, जिन्होनें अपने उपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इस अध्ययन में बड़ा ही दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है।
आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 618 उम्मीदवारों के बीच 30 फीसदी यानि 188 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले पाए गए। इसमें से चौबीस फीसदी मामले यानि 147 मामले गंभीर प्रकृति के थे जबकि महिलाओं के उपर आपराधिक मामला घोषित करने वाले उम्मीदवारों की संख्या तीन फीसदी निकली यानि 19 उम्मीदवार महिला उत्पीड़न के मामलों के दोषी पाए गए । अब इनमें से अगर बात करें महिलाओं से जुड़े बलात्कार के मामलों की तो ये 0.49 फीसदी पाया गया। यानि कि कुल 618 उम्मीदवारों में 3 उम्मीदवार बलात्कार के मामलों के आरोपी पाए गए।
वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 3470 उम्मीदवारों के रिकार्ड को खंगाला गया तो इसमें भी तीस फीसदी उम्मीदवार ऐसे पाए गए जिनपर आपराधिक मामले दर्ज थे। यानि 1048 उम्मीदवारों को आपराधिक मामलों का आरोपी पाया गया। वहीं गंभीर मामलों में 23 फीसदी यानि 802 उम्मीदवार गंभीर मामलों के आरोपी पाए गए। दो फीसदी यानि 61 उम्मीदवार महिला अपराध में लिप्त पाए गए। वहीं 10 लोग यानि 0.29 फीसदी उम्मीदवार बलात्कार के मामलों ने आरोपी पाए गए।
ये तो हुई बात उम्मीदवारों की अब बात करते हैं चुने गए जनप्रतिनिधियों की जिन्हें जनता ने चुन कर लोकसभा और विधानसभा में इलाके का प्रतिनिधित्व करने भेजा । पहले बात लोकसभा में चुने गए प्रतिनिधिय़ों यानि सांसदों की। बिहार से चुने गए 39 सासंदों में 32 सासंदों पर आपराधिक मामले पाए गए। यानि आपराधिक छवि वाले जनप्रतिनिधियों का आंकड़ा 82 फीसदी तक पहुंच गया। जिनमें 56 फीसदी सासंदों यानि 22 लोगों पर गंभीर आपराधिक मामलों के आरोप पाए गए। पर अगर सासंदों पर महिला अपराध के आरोपों की बात करें तो ये आंकड़ा शून्य पाया गया यानि कोई भी बिहारी सांसद महिलाओं से जुड़े अपराध में संलिप्त नहीं पाया गया।
वहीं अगर बिहार विधानसभा में चुने गए 241 विधायकों की बात करें तो 57 फीसदी विधायक यानि 138 विधायक अपराधिक मामलों के आरोपी पाए गए। जिसमें 39 फीसदी यानि 95 विधायकों पर अपराध के गंभीर आरोप दर्ज हैं। महिला अपराध के मामले में सांसदों की तरह विधायकों की आंकड़ा लगभग पाक-साफ ही निकला । एक फीसदी यानि तीन विधायक महिलाओं से जुड़ें अपराध के दोषी पाए गए जिसमें 0.41 फीसदी यानि एक विधायक महिला से बलात्कार का आरोपी पाया गया।