ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Crime News: जमीनी विवाद को लेकर 2 पक्षों में खूनी संघर्ष, आधा दर्जन लोग घायल, गांव में दहशत का माहौल बिहार में बड़े पैमाने पर IAS अधिकारियों का तबादला, देखिए पूरी लिस्ट.. Chhaava: “छावा की सफलता का श्रेय विकी को नहीं जाता बल्कि..”, महेश मांजरेकर के बयान से मच गई सोशल मीडिया पर सनसनी Bihar Crime News: युवक की सरेआम हत्या से हड़कंप, बदमाशों ने बैक टू बैक दागी तीन गोलियां Bihar Crime News: बिहार STF और पुलिस की बड़ी सफलता, 9 वर्षों से फरार कुख्यात नक्सली गिरफ्तार Bihar News: राजद की चिंता बढ़ाने ओवैसी आ रहे बिहार, 'ढाका' में जनसभा को करेंगे संबोधित Bihar Job Alert: बिहार में बंबर बहाली, सहायक अभियंता के 1024 पदों के लिए BPSC ने जारी किया विज्ञापन; ये है लास्ट डेट Bihar Job Alert: बिहार में बंबर बहाली, सहायक अभियंता के 1024 पदों के लिए BPSC ने जारी किया विज्ञापन; ये है लास्ट डेट Pahalgam Attack: 3 पाकिस्तानी बच्चों को रांची से भेजा गया दिल्ली, गर्मी की छुट्टी मनाने आए हुए थे नानी के घर Road Accident: 10 दिन पहले हुई थी शादी, अब सड़क दुर्घटना में पत्नी और माँ दोनों को खोया

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का नीतीश कुमार का खोखला दावा, सरकार ने 33 भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी ही नहीं दी

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का नीतीश कुमार का खोखला दावा, सरकार ने 33 भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी ही नहीं दी

05-Jan-2020 10:01 AM

PATNA : बिहार के निगरानी विभाग ने एक साल पहले सूबे के एक IAS अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला पकड़ा था. छापेमारी में मिले तथ्यों के साथ निगरानी विभाग ने राज्य सरकार से दोषी IAS अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली सरकार पिछले एक साल से फाइल दबा कर बैठी है और भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी मौज कर रहे हैं.


क्या यही है नीतीश के दावे की हकीकत
भ्रष्टाचार के आरोपी IAS अधिकारी के मामले में राज्य सरकार की कारगुजारी तो बानगी मात्र है. बिहार में कम से कम 33 ऐसे अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के बेहद संगीन आरोप हैं. निगरानी विभाग के पास उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पुख्ता सबूत हैं. उन सबूतों को राज्य सरकार के पास भेज कर निगरानी विभाग मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांग रही है. लेकिन सरकार अनुमति देने को तैयार नहीं है. लिहाजा भ्रष्ट अधिकार मजे से हैं और सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का दावा करके अपना काम पूरा कर ले रही है.


नये सरकारी नियमों से भी भ्रष्ट अधिकारियों को मिल रहा फायदा
दरअसल पिछले साल भ्रष्टाचार निवारण कानून में संशोधन किया गया. पहले ये प्रावधान था कि जांच एजेंसी किसी अधिकारी की भ्रष्ट कारगुजारी पकड़ने के बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज सकती थी. सरकार से मंजूरी तब लेनी पड़ती थी जब उस अधिकारी के खिलाफ चार्जशीट दायर करनी होती थी. लेकिन पिछले साल बदल दिये गये नियमों के बाद अब प्रावधान ये हो गया है कि किसी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए ही सरकार से मंजूरी ली जाती है. अगर सरकार ने मंजूरी नहीं दी तो फिर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता.


जानकार बताते हैं कि सरकार ऐसे मामलों में अपनी पसंद-नापसंद के अधिकारियों को चुन रही है. भ्रष्टाचार के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी जहां से मिलनी है, वहां बैठे अधिकारी पिक एंड चूज की नीति अपना रहे हैं. जिनका चेहरा नापसंद है, उनके खिलाफ तो मुकदमे की मंजूरी मिल जा रही है. लेकिन जिनके चेहरे पसंद हैं उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मंजूरी ही नहीं दी जा रही है. प्राथमिकी दर्ज करने में हो रही देरी से भ्रष्ट अधिकारियों को सबूत नष्ट करने का मौका भी मिल जा रहा है.