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13-Oct-2023 12:07 PM
By First Bihar
DELHI : बिहार के मिडिल स्कूलों में चल रहे शिक्षक नियुक्ति में बीएड डिग्री धारक अभ्यर्थियों को अभ्यार्थियों को वर्ग 1 से 5 में शामिल करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका की सुनवाई टल गई है। कोर्ट ने इस मामले को अब चीफ जस्टिस के बेंच में ट्रांसफ़र कर दिया है। इसको लेकर बिहार सरकार के तरफ से नई SLP दायर की गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, बिहार सरकार की तरफ से जो याचिका दायर की गई थी उसे वापस ले लिया गया। बिहार सरकार का कहना है कि इस मामले में राज्य एफिलिएटिड है इसलिए याचिकाकर्ता सीधा सुप्रीम कोर्ट आ गए हैं। बिहार सरकार का कहना है कि अब इस मामले में याचिका दाखिल करने का कोई भी औचित्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में आज याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि- इस मामले में सुनवाई उसी बेंच में होनी चाहिए, जिन्होंने राजस्थान के मामले में सुनवाई की थी। वकील का कहना है कि, इस मामले को जस्टिस अनुरोध बॉस के बेंच में लिस्ट किया। इसके बाद आज इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस ए एस बोपन्ना एवं एम सुंदरेश की खंडपीठ इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। इसके बाद अब इस ममाले की सुनवाई किस बेंच में होगी इसका फैसला चीफ जस्टिस को करना है। अब इस मामले की सुनवाई कब होगी इसको लेकर फिलहाल कोई तारीख तय नहीं की गई है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बीएड अभ्यर्थियों के तरफ से या दलील दी गई है कि बिहार लोक सेवा आयोग के नोटिफिकेशन के के अनुसार ही बीएड डिग्रीधारी ने प्राथमिक में शिक्षक बनने हेतु आवेदन किया था परंतु अब उनका रिजल्ट जारी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है। जबकि, इससे पहले भी बीएड डिग्रीधारी प्राथमिक स्कूल में बहाली हुई है।
वहीं, बीएड अभ्यर्थियों के तरफ से याचिकाकर्ता दीपांकर गौरव व मीकू पाल ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि एनसीटीई के जिस गजट को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किया है उसी गजट से पूरे देश मे लाखों बीएड योग्यताधारी प्राथमिक में बहाल हुए हैं। बिहार में भी छठे चरण में बीएड योग्यताधारी प्राथमिक में शिक्षक बने हैं, उसके अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केंद्रीय विद्यालय में भी प्राथमिक में बीएड योग्यताधारी बहाल हुए हैं।
उधर, बिहार राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका वापस ले ली. राज्य ने ऐसी नियुक्तियों के संबंध में अंतरिम निर्देश/स्पष्टीकरण के लिए उसके आवेदन को खारिज करने के पटना एचसी के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी, जिसके लिए लिखित परीक्षा पहले ही आयोजित की जा चुकी है और परिणाम प्रक्रियाधीन है।