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09-May-2025 05:07 PM
By FIRST BIHAR
India's favourite snack: घर पर जब मेहमान आते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में यही आता है कि पास की दुकान से समोसे ले आए जाएं। समोसा हर उम्र के लोगों का पसंदीदा स्नैक है। बच्चे हों या बड़े, सभी इसे चाव से खाते हैं। कुरकुरा, चटपटा और स्वाद में बेहतरीन समोसा आज हर गली, नुक्कड़ और रेस्टोरेंट में आसानी से मिल जाता है। लेकिन क्या आप समोसा का इतिहास जानतें हैं?
दरअसल, समोसे की शुरुआत ईरान के प्राचीन साम्राज्य से हुई थी, जहां इसे ‘संबूसाग’ के नाम से जाना जाता था। समय के साथ यह शब्द बदलकर समोसा बन गया। इसका सफर भारत तक आने में कई शताब्दियों का वक्त लगा और ये यात्रा बेहद रोचक रही है।
समोसे का सबसे पहला उल्लेख 11वीं सदी में ईरानी इतिहासकार अबुल फजल बैहाकी ने अपनी किताब ‘तारीख-ए-बैहाकी’ में किया था। उन्होंने ग़ज़नवी साम्राज्य के शाही दरबार में परोसी जाने वाली एक नमकीन डिश का ज़िक्र किया था, जिसमें कीमा और मेवे भरे जाते थे। यह स्वादिष्ट व्यंजन वही प्रारंभिक रूप था जिसे हम आज समोसा कहते हैं।
समोसा 10वीं सदी में पहले मिडिल ईस्ट एशिया में बना और फिर 13वीं-14वीं सदी के दौरान, मध्य एशिया से आए व्यापारी और मुस्लिम आक्रमणकारियों के जरिए भारत पहुंचा। यहीं से भारत में समोसे की कहानी शुरू होती है। अमीर खुसरो और इब्न बतूता ने भी अपने लेखन में समोसे का जिक्र किया है। बाद में अबुल फजल ने ‘आइन-ए-अकबरी’ में शाही पकवानों की सूची में समोसे को शामिल किया था।
17वीं सदी में जब पुर्तगाली भारत में आलू लाए, तब समोसे में आलू भरने की परंपरा शुरू हुई। इसके बाद भारतीयों ने समोसे को पूरी तरह अपना बना लिया। इसमें आलू, नमक और मसालों की भरावन डाली जाने लगी। इस तरह समोसे का ‘भारतीय संस्करण’ तैयार हुआ, जो आज हर तबके के लोगों का पसंदीदा स्नैक बन चुका है। समोसे की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही खास है भारतीयों की इससे जुड़ी भावनाएं। आज समोसा सिर्फ एक नाश्ता नहीं, बल्कि भारतीय स्वाद का प्रतीक बन चुका है।