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26-May-2025 04:47 PM
By First Bihar
Anger effects on health: गुस्सा आना, हंसना, रोना और मुस्कुराना—इन सभी की तरह एक स्वाभाविक मानवीय भावना है। लेकिन जब यह भावना काबू से बाहर हो जाती है, तो यह न सिर्फ रिश्तों में दरार डाल सकती है, बल्कि व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी गंभीर असर डाल सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गुस्सा करने के पीछे मस्तिष्क में मौजूद एमिगडाला और हाइपोथैलेमस जैसे हिस्सों से रिलीज होने वाले हार्मोन्स जिम्मेदार होते हैं। जब ये हार्मोन सक्रिय होते हैं, तो दिल की धड़कन तेज हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है और नसों में तनाव आ जाता है। यही कारण है कि बार-बार या लंबे समय तक गुस्से में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
जर्नल ऑफ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गुस्सा, चिंता और उदासी जैसी नकारात्मक भावनाएं दिल की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं। एंडोथेलियल फंक्शन में गड़बड़ी से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा होता है। गुस्से के दौरान शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे स्ट्रेस लेवल बढ़ता है। इसका असर न सिर्फ दिमाग की नसों पर पड़ता है, जिससे माइग्रेन या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, बल्कि पाचन तंत्र पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। एसिडिटी, कब्ज और भूख न लगने जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जब भी गुस्सा आए, तो सबसे पहले उस व्यक्ति या स्थान से कुछ देर के लिए दूर चले जाएं। गहरी सांसें लें, हल्का संगीत सुनें या वॉक पर जाएं। समय रहते गुस्से को नियंत्रित करना न सिर्फ रिश्तों को बेहतर बनाता है, बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ जीवन की कुंजी भी है। गुस्सा अगर संयमित रहे तो एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, लेकिन अगर यह आदत बन जाए, तो शरीर और मन को धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर देता है। इसलिए हैप्पी रहिए, हेल्दी रहिए।