ब्रेकिंग न्यूज़

Premenand Maharaj: प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा फिर से स्थगित हुई, सामने आई यह बड़ी वजह Premenand Maharaj: प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा फिर से स्थगित हुई, सामने आई यह बड़ी वजह Bihar Viral Video: बिहार में शराब पार्टी का वीडियो वायरल, जिलाध्यक्ष बनने पर जाम छलकाते नजर आए आरजेडी नेता India Mango Exports: भारत से आम खरीदने वाले देश, लिस्ट में यह मुस्लिम मुल्क़ सबसे आगे Bihar Crime News: रास्ते के विवाद को लेकर खूनी संघर्ष, दो पक्षों के बीच मारपीट में 10 लोग घायल Bihar News: तेज रफ्तार ट्रक ने बाइक सवार को कुचला, भाई की मौत; बहन गंभीर रूप से घायल Bihar News: तेज रफ्तार ट्रक ने बाइक सवार को कुचला, भाई की मौत; बहन गंभीर रूप से घायल India vs England Test Series 2025: इंग्लैंड दौरा इन 3 खिलाड़ियों के लिए आखिरी मौका, फ्लॉप हुए तो हमेशा के लिए कटेगा टीम से पत्ता Shilpa Shetty: कम उम्र में खाई हजारों ठोकरें, आज इतने सौ करोड़ की हैं मालकिन Manipur Internet ban: मणिपुर में फिर बिगड़े हालात, मैतई नेता की अरेस्टिंग के बाद बवाल; पांच जिलों में इंटरनेट बंद

मोबाइल स्क्रीन की लत से बढ़ सकता है दृष्टि दोष, बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म का खतरा

autism symptoms

26-Feb-2025 03:54 PM

By First Bihar

मोबाइल स्क्रीन का बढ़ता उपयोग न केवल आंखों की रोशनी को प्रभावित कर रहा है, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है। हाल ही में एक रिसर्च में दावा किया गया है कि लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट के इस्तेमाल से मायोपिया (नज़दीक की चीज़ें देखने में आसानी, लेकिन दूर की चीज़ें धुंधली नज़र आना) जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।


बढ़ रहा है वर्चुअल ऑटिज्म का खतरा

हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन स्टडी और एकल परिवार की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण छोटे बच्चों का स्क्रीन टाइम कई गुना बढ़ गया है। नतीजतन, हर तीसरे परिवार में बच्चे वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं। इसका प्रभाव उनके स्वभाव पर भी देखने को मिल रहा है—कुछ बच्चे जरूरत से ज्यादा हाइपरएक्टिव हो गए हैं, तो कुछ एकदम शांत और अपनी दुनिया में खोए रहते हैं।


आंखों की रोशनी हो रही कमजोर

डॉक्टरों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना घंटों मोबाइल स्क्रीन पर चिपका रहता है, तो उसकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। हाल ही में जामा नेटवर्क ओपन नामक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में दावा किया गया है कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से मायोपिया के मामलों में तेजी से इज़ाफा हो रहा है। यह अध्ययन तीन लाख से अधिक लोगों पर किया गया, जिसमें हर उम्र के लोगों को शामिल किया गया था।


मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी असर

विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रीन एडिक्शन केवल आंखों पर ही नहीं, बल्कि मानसिक सेहत पर भी गंभीर असर डालता है। यह सोचने और समझने की शक्ति को कमजोर करता है और याददाश्त पर भी बुरा प्रभाव डालता है। इसके अलावा, बैलेंस बिगड़ने, नींद की कमी और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।


कैसे बचा सकते हैं अपनी आंखों को?

20-20-20 नियम अपनाएं – हर 20 मिनट स्क्रीन पर देखने के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।

ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करें – स्मार्टफोन या लैपटॉप में ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें या एंटी-ग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल करें।

स्क्रीन टाइम को सीमित करें – बच्चों और बड़ों दोनों के लिए स्क्रीन टाइम तय करें।

प्राकृतिक रोशनी में समय बिताएं – धूप में समय बिताने और प्राकृतिक रोशनी में पढ़ाई करने से आंखों की सेहत अच्छी बनी रहती है।