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02-May-2025 05:12 PM
By First Bihar
Security force action in kashmir: कश्मीर घाटी में इन दिनों हजारों लोग अपने टैटू हटवाने कि कोशिश में लगे हुई हैं । पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सुरक्षा बलों और पुलिस की ओर से जिस रफ़्तार से कार्रवाई की जा रही है, उसे देखते हुए स्थानीय लोगों ने यह कदम उठाया है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि कई लड़कों ने असॉल्ट राइफल के टैटू बनवाए थे, जो अब हटवा रहे हैं।
लेजर क्लिनिक चलने वाले ने बताया, 'मैंने लेजर का इस्तेमाल करके 1 हजार से अधिक युवाओं के हाथों और गर्दन से AK-47 और इसी तरह के टैटू हटाए हैं।' उन्होंने कहा कि पहलगाम के बाद चांद या AK-47 टैटू वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है जो इसे हटाने के लिए आ रहे हैं। इसी हफ्ते एक युवक AK-47 टैटू के साथ आया, जब उसके दोस्तों ने उसे बताया कि स्थिति बेहद नाजुक और और सुरक्षा कारणों से है और इसे हटाना बेहतर है।
टैटू बना विरोध का जरिया
रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में 1989 में भारतीय शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह शुरू हुआ।इसी दौर में घटी से मासूम कश्मीरी पंडितों को वह से चरमपंथियों ने वहां से खदेड़ा ,जिसके बाद वो अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रहने को मजबूर हुए | माना जाता है कि इसी दौर के आसपास टैटू राजनीतिक अभिव्यक्ति का एक जरिया बन गया। लगातार हिंसा देखने को मिली हिंसक विद्रोह के दौरान बड़े हुए कई लोगों ने अपने शरीर पर न केवल भारतीय शासन के प्रति असंतोष, बल्कि अपनी धार्मिक पहचान को व्यक्त करने वाले टैटू बनवाए। हर दिन लगभग 100 लोगों ने टैटू हटा रहे हैं, जिन्होंने AK-47 राइफल से लेकर इस्लामी प्रतीकों जैसे चांद तक के टैटू बनवाए थे|
लेजर तकनीशियन ने क्या बताया
लेजर तकनीशियन बशीर ने कहा कि उन्होंने शुरू में मुस्लिम धार्मिक प्रतीकों वाले टैटू हटाने शुरू किए। गुजरते दिन के साथ ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती चली गई। उन्होंने कहा कि मुझे डरे हुए युवा पुरुषों और महिलाओं की एक धारा मिलने लगी, जो अपने टैटू हटवाना चाहते हैं। कुछ दिनों में 150 से अधिक लोग उनकी क्लिनिक में पहुंचे, जिसके कारण उन्होंने 10 लाख रुपये में एक नई मशीन खरीदी। इस तरह टैटू हटाने का काम इस समय बढ़ गया है।