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Spiritual Guru Controversy: स्वामी रामभद्राचार्य के बयान पर संत समाज भड़का, प्रेमानंद महाराज को लेकर बढ़ा विवाद

Spiritual Guru Controversy: जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद महाराज को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान से संत समाज में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। देशभर के अनेक प्रमुख संतों और धर्मगुरुओं ने इस बयान की आलोचना कर रहे है।

Premananda Maharaj VS Swami Rambhadracharya,

26-Aug-2025 10:57 AM

By First Bihar

Spiritual Guru Controversy: जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा संत प्रेमानंद महाराज को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान से संत समाज में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। देशभर के अनेक प्रमुख संतों और धर्मगुरुओं ने इस बयान की आलोचना करते हुए इसे सनातन धर्म की मर्यादा के विपरीत बताया है।


बातचीत के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा था कि "अगर कोई चमत्कार है, तो प्रेमानंद जी उनके सामने संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं या उनके द्वारा बोले गए श्लोकों का अर्थ बताएं।" उन्होंने यह भी कहा कि "वो मेरे लिए बालक के समान हैं, उनकी किडनी की डायलिसिस होती रहती है, उसी से वह जीवित हैं, जीने दीजिए।" इस बयान के सामने आते ही धार्मिक और सामाजिक हलकों में विरोध शुरू हो गया।


सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के आचार्य देवेशाचार्य महाराज ने कहा कि इस प्रकार की भाषा स्वामी रामभद्राचार्य जैसे पूजनीय संत के लिए शोभा नहीं देती। उन्होंने यह भी कहा कि संत समाज से लोग संयमित व्यवहार की अपेक्षा करते हैं। प्रसिद्ध संत सीताराम दास महाराज ने स्वामी रामभद्राचार्य के बयान को “संकीर्ण मानसिकता” का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि संत प्रेमानंद महाराज लाखों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं और संतों को ऐसे बयानों से दूर रहना चाहिए जो समाज को बांटने का काम करें।


महंत राजू दास ने कहा कि दोनों संत सनातन धर्म की गरिमा के प्रतीक हैं और उन्हें ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जिससे समाज में गलत संदेश जाए। उन्होंने सभी संतों से आपसी सम्मान और संवाद की अपील की। उज्जैन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रामेश्वर दास महाराज ने कहा कि साधु-संतों को बयानबाज़ी से बचना चाहिए, क्योंकि यह समाज में भ्रम और विभाजन पैदा करता है। उन्होंने संत समाज से एकता और संयम का संदेश देने की अपील की।


महंत विशाल दास ने इस विवाद को संतों का आंतरिक मामला बताते हुए कहा कि दोनों संत आपस में बैठकर संवाद करें और इसे सौहार्दपूर्वक समाप्त करें। उनका मानना है कि समाज को संप्रेषित होने वाला संदेश शांति और समरसता का होना चाहिए।