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14-May-2025 09:55 AM
By First Bihar
India-Pakistan Ceasefire: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे, जिसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया और 7 मई को पाकिस्तान व PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष के बाद 10 मई को दोनों देशों ने सीजफायर की घोषणा की। लेकिन इस सीजफायर को लेकर भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और चीन के अलग-अलग बयानों ने स्थिति को उलझा दिया। सबसे हैरानी की बात यह रही कि चीन, जो पाकिस्तान को अपना "ऑल वेदर फ्रेंड" कहता है, इस सीजफायर से नाराज हो गया है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद करार दिया। हमले में ज्यादातर हिंदू पर्यटक मारे गए थे, जिन्हें कथित तौर पर कलमा न पढ़ने पर गोली मारी गई। भारत ने इसे गंभीरता से लिया और 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इस अभियान में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाया गया। भारत ने दावा किया कि उसने सिर्फ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, लेकिन पाकिस्तान ने इसे नागरिक क्षेत्रों पर हमला बताया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन बुनयान-उन-मारसूस' शुरू किया और भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने नागरिक क्षेत्रों और धार्मिक स्थलों पर हमले किए। चार दिनों तक ड्रोन, मिसाइल और गोलीबारी का सिलसिला चला, जिसमें पाकिस्तानियों का भरपूर नुकसान हुआ।
10 मई को दोपहर 2:30 बजे पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर सीजफायर की मांग की। भारत ने इसे स्वीकार किया, लेकिन आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की शर्त रखी। शाम 5:00 बजे से सीजफायर लागू हुआ। भारत ने साफ कहा कि यह फैसला सिर्फ दोनों देशों के बीच हुआ। लेकिन उसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से यह सीजफायर हुआ। भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया। हैरानी की बात यह रही कि सीजफायर के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में ड्रोन भेजे और गोलीबारी शुरू कर दी। श्रीनगर में धमाके सुनाई दिए और ब्लैकआउट लागू करना पड़ा। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसे समझौते का उल्लंघन बताया और कहा कि भारतीय सेना को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
पाकिस्तान हमेशा से चीन को अपना सबसे करीबी दोस्त बताता रहा है, लेकिन इस बार उसने संकट के समय पहले अमेरिका से संपर्क किया। सूत्रों के मुताबिक, इससे चीन को गहरा झटका लगा। चीन को यह बात नागवार गुजरी कि पाकिस्तान ने उसे दरकिनार कर अमेरिका को प्राथमिकता कैसे दे दी। हालांकि, सीजफायर के बाद पाकिस्तान ने एक प्रेस रिलीज जारी कर दावा किया कि चीन ने उसके "संयम और जिम्मेदार रवैये" की तारीफ की है।
रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर अनिल गुप्ता का मानना है कि चीन की नाराजगी स्वाभाविक है, क्योंकि वह दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है। लेकिन पाकिस्तान की मजबूरी भी थी, क्योंकि उसे IMF से कर्ज चाहिए, जिसमें अमेरिका की भूमिका अहम है। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि चीन की नाराजगी दिखावटी हो सकती है। हालांकि, पाकिस्तान ने बाद में चीन की तारीफ कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश जरूर की।