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12-Sep-2025 10:53 AM
By First Bihar
Vice President of India: सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में शपथ ग्रहण की। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद की शपथ दिलाई। यह शपथ समारोह सुबह 10 बजे शुरू हुआ, जिसमें देश के शीर्ष नेता और गणमान्य अतिथि शामिल हुए।
बता दें कि इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ कई अन्य केंद्रीय मंत्री और सीनियर अधिकारी उपस्थित रहे। समारोह की गरिमा को और बढ़ाते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इस अवसर पर मौजूद थे, जो इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए।
शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष की भागीदारी भी चर्चा का विषय रही। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस कार्यक्रम में शामिल हुए, लेकिन राहुल गांधी इसमें उपस्थित नहीं हो सके क्योंकि वे गुजरात दौरे पर थे। विपक्ष के कुछ अन्य नेता भी समारोह में शामिल हुए, लेकिन कुल मिलाकर विपक्ष की उपस्थिति सीमित रही, जिससे राजनीतिक संकेत भी निकाले जा रहे हैं।
शपथ से एक दिन पहले, सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि उनकी जगह अब गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। सीपी राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया था। चुनाव में उनकी जीत को एनडीए की एक बड़ी रणनीतिक सफलता माना जा रहा है, जिसने उन्हें एक सुलझे हुए, अनुभवी और दक्षिण भारत से आने वाले नेता के रूप में सामने लाने में अहम भूमिका निभाई।
वहीं, 21 जुलाई को पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। इस अप्रत्याशित कदम के बाद 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव आयोजित किया गया, जिसने सीपी राधाकृष्णन को भारत के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचाया। सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर बेहद सक्रिय और विविध रहा है। वे तमिलनाडु से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने कई बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा है। राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रशासनिक कार्यों के अलावा सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी नियुक्ति को दक्षिण भारत से प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में एनडीए की रणनीति के तहत भी देखा जा रहा है।