4 दिवसीय चैती छठ महापर्व की शुरुआत: पटना DM-SSP ने दंडाधिकारियों और पुलिस पदाधिकारियों को दिये ये निर्देश वक्फ बिल पर मुस्लिम संगठनों की धमकी का असर नहीं: JDU,चिराग, मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने समर्थन का ऐलान किया, सांसदों को व्हीप जारी राष्ट्रपति ने IPS काम्या मिश्रा का इस्तीफा किया मंजूर, कुछ दिन पहले ही शिवदीप लांडे ने भी छोड़ी थी नौकरी Bihar News: अगलगी की घटना में 27 घर जलकर राख, देखते ही देखते स्वाहा हो गई लाखों की संपत्ति यात्रीगण कृपया ध्यान दें: यात्रियों की भीड़ को देखते हुए स्पेशल ट्रेनों के परिचालन अवधि में विस्तार, देखिये पूरी लिस्ट.. बोधगया में 'बौद्ध ध्यान एवं अध्यात्म केंद्र' की होगी स्थापना, 165.44 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत Gaya News :गया-गोह मुख्य मार्ग पर भीषण सड़क दुर्घटना, तेज रफ्तार वाहन के धक्के से युवक की दर्दनाक मौत बागमती नदी में नहाने के दौरान 4 दोस्त डूबे, एक की मौत जमुई के बरहट थाने में गंभीरता से हो रहा DGP के आदेश पालन, थाने पर आने वाले हरेक व्यक्ति से लिया जा रहा डिटेल Summer Tips: तेज़ गर्मी में भी रहें ठंडे, सेहत से जुड़ी कोई परेशानी नहीं होगी
27-Mar-2025 05:55 PM
Collegium System: हाल ही में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर नकदी मिलने की खबर जैसे ही मीडिया में सुर्खिया बनी वैसे ही न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नई बहस छिड़ गई है। इस मुद्दे पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) का जिक्र करते हुए वर्तमान न्यायिक नियुक्ति प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि न्यायाधीशों की नियुक्तियां एनजेएसी के तहत होतीं, तो परिस्थितियां अलग हो सकती थीं।
क्या है एनजेएसी?
2014 में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) का उद्देश्य न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता(Transparency) और जवाबदेही लाना था। इसके तहत जजों की नियुक्ति एक छह सदस्यीय समिति द्वारा की जानी थी, जिसमे भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री , प्रधानमंत्री, CJI और विपक्ष के नेता द्वारा नामित दो प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल किये जाने थे | हालांकि, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक (Unconstitutional) ठहराते हुए इसे निरस्त कर दिया, जिससे मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली कायम रही |
कॉलेजियम प्रणाली क्या है?
वर्तमान में भारत में जजों की नियुक्ति और तबादले कॉलेजियम प्रणाली के तहत किए जाते हैं।इसमें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं।वहीँ ,हाईकोर्ट कॉलेजियम में संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।लेकिन कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना अक्सर इसके अपारदर्शी होने और भाई-भतीजावाद (Nepotism) को बढ़ावा देने के लिए की जाती रही है।
क्या खत्म होगा "अंकल कल्चर"?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता बढ़ाने और भाई-भतीजावाद (Uncle Culture) खत्म करने की आवश्यकता पर बल दिया है। कोर्ट की मंशा है कि हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के दौरान करीबी रिश्तेदारों को प्राथमिकता देने की परंपरा समाप्त हो।
बर्तमान न्यायिक नियुक्ति प्रणाली पर बहस क्यों?
दिल्ली स्थित कथित तौर से यशवंत वर्मा के घर से नकदी होने की घटना ने न्यायपालिका की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।जिसके बाद ये देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है .
क्या न्यायिक नियुक्तियों में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा?
कॉलेजियम प्रणाली के समर्थकों का मानना है कि यह न्यायपालिका को राजनीतिक दखल से बचाता है, जबकि एनजेएसी के पक्षधर इसे अधिक पारदर्शी मानते हैं और कार्यपालिका की भी भूमिका चाहते हैं।भारत में न्यायिक नियुक्ति प्रणाली को लेकर एनजेएसी बनाम कॉलेजियम की बहस फिर से गर्म हो गई है। सुप्रीम कोर्ट न्यायिक पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रहा है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाई-भतीजावाद खत्म होगा? क्या सरकार की भूमिका बढ़ेगी? क्या एनजेएसी की वापसी संभव है? ये सवाल अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुके हैं।