बिहार पंचायत चुनाव 2026: आरक्षण और निर्वाचन प्रक्रिया पर निर्वाचन आयोग ने दी स्पष्ट जानकारी एक सिपाही ऐसा भी: घायल को कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया, लोगों के साथ-साथ पुलिस कप्तान ने भी की तारीफ Indian Railways New Rule : रेलवे ने बदला रिजर्वेशन चार्ट का नियम, अब टिकट स्टेटस मिलेगा 10 घंटे पहले IAS Removal Process: कैसे पद से हटाए जाते है IAS अधिकारी, संतोष वर्मा मामले से जानिए पूरी डिटेल Bihar News: अदना सा JE के पास आय से 1.46 करोड़ की अधिक संपत्ति, निगरानी टीम भ्रष्ट अभियंता के ठिकानों पर कर रही छापेमारी vigilance bureau bihar : 5,000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ ASI, निगरानी ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई Oscar Shortlist Homebound: ऑस्कर 2026 के लिए शॉर्टलिस्ट हुआ 'होमबाउंड', करण जौहर के लिए गर्व का पल Bihar IPL Cricketers: बिहार के क्रिकेटरों की धाक! IPL में ईशान किशन से लेकर वैभव सूर्यवंशी तक; यहां देखें पूरी लिस्ट IIMC Vacancy: भारतीय जन संचार संस्थान में नौकरी पाने का मिल रहा सुनहरा अवसर, योग्य अभ्यर्थी समय रहते करें आवेदन.. नितिन नबीन को राष्ट्रीय फलक पर लाना बिहार की युवा पीढ़ी का सम्मान: सम्राट चौधरी
14-May-2025 07:04 AM
By First Bihar
Boycott Turkish Products: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव ने न केवल सीमा पर बल्कि व्यापार और अर्थव्यवस्था पर भी असर डाला है। अब पुणे के सेब व्यापारियों ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार शुरू कर दिया है, क्योंकि तुर्की ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया। व्यापारियों का कहना है कि तुर्की के सेबों का पुणे में तीन महीने का कारोबार 1200-1500 करोड़ रुपये का होता है।
पुणे के APMC मार्केट में सेब व्यापारी सुयोग झेंडे ने कहा, "जब तुर्की में 2023 में भूकंप आया था, तब भारत ने सबसे पहले ऑपरेशन दोस्त के तहत मदद की थी। लेकिन तुर्की ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन किया और ड्रोन तक सप्लाई किए। इसलिए हमने तुर्की के सेब खरीदना बंद कर दिया है।" व्यापारियों ने अब हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान, अमेरिका, चिली और न्यूजीलैंड के सेबों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
पुणे में तुर्की के सेबों का सीजन तीन महीने का होता है, जब कश्मीर और हिमाचल के सेब सीजन से बाहर होते हैं। इस दौरान यह कारोबार 1200-1500 करोड़ रुपये का होता है। लेकिन इस बहिष्कार से तुर्की सेब बाजार से गायब हो गए हैं, और ईरान के सेबों की कीमतें बढ़ गई हैं। थोक में 10 किलो सेब की कीमत 200-300 रुपये और रिटेल में प्रति किलो 20-30 रुपये बढ़ गई है।
पुणे में "बैन तुर्की" अभियान तेजी से फैल रहा है। स्थानीय लोगों ने भी इस बहिष्कार का समर्थन किया है। एक ग्राहक राजेश पाटिल ने कहा, "हमारे पास कई तरह के सेब उपलब्ध हैं, तो ऐसे देश से क्यों खरीदें जो हमारी सुरक्षा के खिलाफ है?" कुछ लोगों ने सरकार से संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने की मांग भी की है।
यह अभियान सिर्फ पुणे तक सीमित नहीं है। हिमाचल प्रदेश में भी सेब व्यापारियों और किसानों ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता कुलदीप सिंह राठौर ने केंद्र सरकार से तुर्की से सेब आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर के सेब उत्पादकों को फायदा होगा।
बताते चलें कि तुर्की का पाकिस्तान को समर्थन कोई नई बात नहीं है। 2023 में भूकंप के दौरान भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की को व्यापक मदद दी थी, जिसमें NDRF की टीमें, दवाइयां, और ड्रोन तक शामिल थे। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने न केवल पाकिस्तान का समर्थन किया, बल्कि सोंगर ड्रोन भी सप्लाई किए, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया। इसके जवाब में भारत में अब तुर्की के खिलाफ भावनाएं भड़क उठी हैं।