vigilance bureau bihar : 5,000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ ASI, निगरानी ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई Oscar Shortlist Homebound: ऑस्कर 2026 के लिए शॉर्टलिस्ट हुआ 'होमबाउंड', करण जौहर के लिए गर्व का पल Bihar IPL Cricketers: बिहार के क्रिकेटरों की धाक! IPL में ईशान किशन से लेकर वैभव सूर्यवंशी तक; यहां देखें पूरी लिस्ट IIMC Vacancy: भारतीय जन संचार संस्थान में नौकरी पाने का मिल रहा सुनहरा अवसर, योग्य अभ्यर्थी समय रहते करें आवेदन.. नितिन नबीन को राष्ट्रीय फलक पर लाना बिहार की युवा पीढ़ी का सम्मान: सम्राट चौधरी Bihar News: बिहार के इस ग्रीनफील्ड फोरलेन का काम समाप्ति की ओर, जमीन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से स्थानीय लोग उत्साहित Education Department : पति-पत्नी को एक साथ मिला जिला शिक्षा पदाधिकारी का नोटिस, जानिए क्या रही वजह Bihar Bhumi: बिहार के सभी ADM-DCLR और CO को पटना बुलाया गया, भू स्वामियों की सहूलियत को लेकर डिप्टी CM विजय सिन्हा की बड़ी पहल Dhurandhar OTT Release: थिएटर के बाद ओटीटी पर रिलीज के लिए तैयार है ‘धुरंधर’, जान लें डेट BIHAR SCHOOL NEWS : बिहार की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव, सरकारी स्कूलों की कमान अब कॉम्प्लेक्स रिसोर्स सेंटर के हाथ; जानिए क्या होगा फायदा
18-Jun-2025 09:54 AM
By First Bihar
Bihar News: भारत में शिशु स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर चेतावनी सामने आई है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल उन चार राज्यों में शामिल हैं जहां जन्म के समय कम वजन वाले और छोटे आकार के शिशुओं के मामले सर्वाधिक सामने आए हैं।
इस रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि देश में जितने कम वजन वाले शिशु पैदा होते हैं, उनमें से 47% सिर्फ इन चार राज्यों से आते हैं। बिहार की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक बताई गई है।
BMJ की इस रिपोर्ट में 1993 से 2021 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों को भी आधार बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों (विशेषकर 2019-21) में बिहार में जन्म लेने वाले बच्चों में कम वजन और औसत से छोटे आकार वाले शिशुओं की संख्या "काफी अधिक" रही है।
जिन नवजातों का वजन 2.5 किलोग्राम से कम होता है, उन्हें कम वजन वाले शिशु की श्रेणी में रखा जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 42 लाख बच्चे कम वजन के साथ जन्म लेते हैं, जिनमें लगभग 20 लाख से अधिक यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से आते हैं। इसके पहले राजस्थान भी इस सूची में शामिल था, लेकिन वहां पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार के चलते स्थिति में सुधार आया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति के पीछे मुख्य कारण गर्भवती महिलाओं में कुपोषण, प्रारंभिक देखभाल की कमी, गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच और शिशु जन्म पूर्व जांचों की अनदेखी हैं।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि जब तक मातृ स्वास्थ्य, पोषण और प्रसव पूर्व देखभाल को मजबूत नहीं किया जाता, तब तक इस समस्या में उल्लेखनीय सुधार संभव नहीं। पिछले कुछ वर्षों में बिहार सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई गई हैं, जिसमें मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, जननी सुरक्षा योजना, आईएफए (Iron-Folic Acid) सप्लीमेंटेशन और पोषण अभियान जैसे कई योजनाओं को शामिल किया गया है।
वहीं, रिपोर्ट का कहना है कि नीति-निर्धारण और जमीनी क्रियान्वयन के बीच बड़ा अंतर है, जिसकी वजह से व्यापक असर नहीं दिख रहा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस गंभीर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर गर्भवती महिला की समय पर स्क्रीनिंग और नियमित जांच, पोषण और आयरन सप्लीमेंटेशन को अनिवार्य रूप से पहुंचाना, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान तेज करना और आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को मजबूत करना शामिल किया गया है।
कम वजन के बच्चों का लगातार जन्म न केवल एक स्वास्थ्य संकट है, बल्कि यह राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बनता है। BMJ की यह रिपोर्ट स्पष्ट संदेश देती है कि यदि बिहार और अन्य राज्यों को स्वस्थ और सक्षम पीढ़ी तैयार करनी है, तो उन्हें मातृ और बाल स्वास्थ्य पर ठोस व प्रभावशाली कदम उठाने होंगे।