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25-Aug-2025 01:19 PM
By First Bihar
AMIT SHAH : देश के कुछ राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस चुनाव से पहले देश के कई बड़े नेता बड़े चैनलों में जाकर अपनी बातों को रख रहे हैं और पत्रकारों के सवालों का भी बखूबी जवाब दे रहे हैं। इसी कड़ी में अब देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपने जीवन से जुड़ें एक अहम मुद्दों को लेकर बड़ी बात कही है।
अमित शाह ने एक निजी मीडिया से बातचीत के दौरान खुद के जेल जाने के मसले को लेकर भी जवाब दिय। इस दौरान जब उनसे यह सवाल किया गया कि आखिर आपने जो यह संविधान संशोधन किया है कि 30 दिन से ज्यादा यदि कोई नेता गंभीर आरोपों में जेल में रहता है तो उसका स्वत: इस्तीफा मान लिया जाएगा। इसके जवाब ने कहा कि यह बेहद जरूरी था। पिछले दिनों कई नेता जेल से ही सरकार चला रहे थे जो हमेशा से ही गलत रहा है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि आप मेरी ही कहानी देख लिगिए की मैंने कैसे खुद से इस्तीफा दे दिया था। आप शायद याद नहीं कर पा रही है तो आपको बताऊँ कि जब मेरे ऊपर जब सीबीआई ने राजनीति से प्रेरित केस दर्ज किया था तो मैंने इस्तीफा दिया था। इसके बाद मुझे जब बेल मिली तो सारी शर्तें भी स्वीकार कीं और पूरी तरह बरी होने के बाद ही कोई पद स्वीकारा।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस आफताब आलम की कृपा से दो साल तक मेरी बेल पर सुनवाई चली। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब बेल ऐप्लिकेशन इतने दिन तक चली। अमित शाह ने कहा कि जस्टिस आफताब आलम ने रविवार के दिन विशेष अदालत बिठाकर बेल ऐप्लिकेशन को सुना। अमित शाह ने कहा कि इस सुनवाई के दौरान आफताब आलम ने कहा कि यदि आप राज्य में रहे तो साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। इस पर मेरी वकील ने कहा कि यदि आपको ऐसा भय है तो जब तक बेल पर फैसला नहीं होता है, तब तक मेरे क्लाइंट गुजरात से बाहर रहेंगे। इसके आगे उन्होंने यह भी कहा देश के इतिहास में किसी की भी बेल ऐप्लिकेशन दो साल तक नहीं चली है। मेरी ही इतनी लंबी चली है। आफताब आलम की कृपा से मेरी बेल पर सुनवाई दो साल तक चली।
बता दें कि गुजरात का गृह मंत्री रहने के दौरान अमित शाह पर आरोप लगा था कि शेख सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ कांड उनके आदेशों पर ही अंजाम दिया गया था। इस मामले में सीबीआई को तत्कालीन यूपीए सरकार ने जांच सौंपी थी। अमित शाह को पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तीन सप्ताह बाद उन्हें हाई कोर्ट से बेल मिल गई थी, लेकिन फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो रोक लग गई। उस बेंच का नेतृत्व आफताब आलम कर रहे थे।
आपको जानकारी देते चलें कि आफताब आलम पटना हाई कोर्ट में जज हुआ करते थे और फिर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के ऐक्टिंग चीफ जस्टिस रहे। अंत में 12 नवंबर, 2007 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे।