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14-Nov-2025 09:53 AM
By First Bihar
कुटुम्बा विधानसभा सीट पर वोटों की गिनती जारी है और जैसे-जैसे राउंड पूरे हो रहे हैं, मुकाबले की तस्वीर और स्पष्ट होती जा रही है। शुरुआत से ही यहां कांटे की टक्कर की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन फिलहाल रुझानों में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के उम्मीदवार ललन राम बढ़त बनाए हुए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, ललन राम 1811 वोटों से आगे चल रहे हैं। वहीं, उनके मुख्य प्रतिद्वंदी राजेश राम पिछड़ते नज़र आ रहे हैं, जिससे उनके समर्थकों में चिंता बढ़ गई है।
कुटुम्बा सीट हमेशा से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह सीट जातीय समीकरण, विकास के मुद्दों और क्षेत्रीय नेतृत्व की पकड़ के कारण चुनावी मौसम में खास महत्व रखती है। इस बार भी यहां कई बड़ा राजनीतिक संदेश देने वाले समीकरण देखे जा रहे हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) इस सीट पर लगातार मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में रही है। पार्टी प्रमुख मांझी खुद दलित राजनीति के बड़े चेहरे माने जाते हैं, और कुटुम्बा जैसे क्षेत्रों में उनकी पार्टी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।
ललन राम की बढ़त क्यों महत्वपूर्ण?
HAM के उम्मीदवार ललन राम का शुरुआती राउंड्स में आगे बढ़ना उनके चुनावी अभियान की मजबूती का संकेत माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कुटुम्बा के मतदाताओं ने विकास कार्यों, रोजगार के अवसर, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और स्थानीय नेतृत्व की सक्रियता को आधार बनाकर वोट करने की प्रवृत्ति दिखाई है। चुनाव प्रचार के दौरान ललन राम ने इन सभी मुद्दों को बड़े स्तर पर उठाया था। ऐसा माना जा रहा है कि इसका सकारात्मक असर अब रुझानों में दिखने लगा है।
राजेश राम की पिछड़ने से खेमे में निराशा!
दूसरी ओर, राजेश राम के खेमे में शुरुआती रुझानों के बाद चिंता की लहर दौड़ गई है। उन्हें इस क्षेत्र में अपनी सामाजिक और राजनीतिक पकड़ पर पूरा भरोसा था। लेकिन वर्तमान आंकड़े उनके लिए चुनौतीपूर्ण हैं। हालांकि चुनाव विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी अंतिम नतीजे आने बाकी हैं, और वोटों की गणना में कई राउंड अभी और बचे हुए हैं। इसलिए किसी भी पक्ष के लिए अभी जीत या हार का दावा करना जल्दबाज़ी होगी।
वोटरों का रुझान क्या बताता है?
कुटुम्बा में इस बार युवा मतदाताओं की संख्या भी अधिक रही है। रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दे यहां निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, HAM की जातीय आधार वाली राजनीति और मांझी के नेतृत्व पर भरोसा भी ललन राम को मदद करता दिख रहा है। दूसरी ओर, राजेश राम पर भरोसा जताने वाले मतदाता उम्मीद लगाए बैठे हैं कि आगे के राउंड में तस्वीर बदल सकती है।
अंतिम जंग अभी बाकी
हालांकि रुझानों में ललन राम की बढ़त साफ दिख रही है, लेकिन पूरी गणना अभी जारी है और अंतिम नतीजे आने तक चुनावी हलचल जारी रहेगी। कुटुम्बा की यह लड़ाई इस बार सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दलित राजनीति, स्थानीय विकास मॉडल और नेतृत्व की कार्यशैली की भी परीक्षा बन गई है। काउंटिंग समाप्त होते ही कुटुम्बा की जनता अपने अगले विधायक का फैसला दे देगी। फिलहाल सभी की नज़रें आगे आने वाले राउंड्स पर टिकी हुई हैं।