पटना में नगर निगम की लापरवाही से खुला मेनहोल बना जानलेवा, नाले में गिरा बच्चा पहली उड़ान बनी आखिरी सफर, सऊदी नौकरी पर निकले युवक ने फ्लाइट में दम तोड़ा, विदेश में नौकरी का सपना रह गया अधूरा जमुई में नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, जंगल से 24 सिलेंडर बम बरामद भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग पर भीषण सड़क हादसा, महिला की मौत, 6 की हालत गंभीर Patna News: पटना एयरपोर्ट के लिए जारी हुआ नया आदेश, उल्लंघन किया तो होगी कड़ी कार्रवाई बेगूसराय में टला बड़ा हादसा: चलती ट्रेन के इंजन में लगी आग, यात्रियों ने कूदकर बचायी अपनी जान गांधी सेतु पर ट्रक और पिलर के बीच फंसा बाइक सवार, ट्रैफिक पुलिस ने किया रेस्क्यू AI in election: AI की चालबाज़ी से उलझे बिहार के वोटर! फर्जी कॉल्स-Deepfake से फैला भ्रम, अब चुनाव आयोग कसेगा शिकंजा! प्यार के लिए लड़का बना लड़की, अब पति किन्नर से शादी की जिद पर अड़ा Bihar politics : तेजस्वी ने किया 'महिला संवाद' पर हमला, जदयू का पलटवार...क्या महिलाओं की तरक्की से डरते हैं नेता प्रतिपक्ष?
18-Apr-2025 01:54 PM
Bihar vidhansabha election 2025: बिहार की सियासत में दो दशकों से सत्ता का केंद्र रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब एक बार फिर से चुनावी रणभूमि में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुट गए हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू ने "D-M फॉर्मूला" (दलित और महिला वोट बैंक) के जरिए दो सबसे मजबूत सामाजिक वर्गों को साधने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है।
महिलाओं को साधने की रणनीति, ‘महिला संवाद’ की शुरुआत
नीतीश कुमार शुक्रवार को पटना से ‘महिला संवाद’ अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम पूरे दो महीनों तक चलेगा, जिसमें राज्य के 70 हजार से अधिक स्थानों पर बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य करीब 2 करोड़ महिलाओं तक सीधा पहुंच बनाना है।आपको बता दे कि इस संवाद में जीविका दीदियां, रसोइया, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका जैसे वर्गों से सीधा संपर्क कर सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में चलाई गई योजनाएं जैसे महिला आरक्षण, शराबबंदी, दहेज उन्मूलन, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, छात्रा पोशाक योजना को विस्तार से लोगों को खास कर महिलाओं को समझाएगी| माना जा रहा है कि ये रणनीति तेजस्वी यादव के 'माई बहिन मान योजना' को काउंटर करने के लिए तैयार किया गया है , जिससे महिला वोटरों को अपने पाले में बनाए रखा जा सके।
दलित वोटों के लिए ‘भीम संवाद’ और ‘भीम महाकुंभ’
बिहार में 18% दलित वोटर्स किसी भी पार्टी के लिए सत्ता की कुंजी साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि नीतीश कुमार ने ‘भीम संसद’, ‘भीम संवाद’ जैसे कार्यक्रमों के बाद अब ‘भीम महाकुंभ’ की योजना बनाई है।हाल ही में 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर नीतीश ने आंबेडकर समग्र योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। जेडीयू इन आयोजनों के माध्यम से यह बताना चाहती है कि नीतीश सरकार ने दलित समाज के लिए क्या किया है और आगे क्या करेगी।
नीतीश के सामने चुनावी चुनौती
हालांकि नीतीश एनडीए के सीएम फेस बने हुए हैं, लेकिन उन्हें बीजेपी नेताओं के बयानों से लेकर आरजेडी, कांग्रेस और प्रशांत किशोर जैसे विरोधियों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। तेजस्वी यादव युवाओं और महिलाओं को जोड़ने की कवायद में लगे हैं, वहीं कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलते हुए राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष और सुशील पासी को सह-प्रभारी बना दिया है।
डी-एम फॉर्मूला कितना प्रभावी?
बिहार पॉलिटिक्स को समझने वाले लोग कहते हैं कि 2005 से लेकर 2020 तक, नीतीश कुमार ने महिलाओं और दलितों ,खासकर अति पिछड़ी जातियों के वोट बैंक समर्थन से लगातार सत्ता में वापसी की है। लेकिन 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू कमजोर हुई थी और उन्हें बीजेपी के सहयोग से सरकार बनानी पड़ी थी। अब 2025 में वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।
डी-एम फॉर्मूला उनके लिए चुनावी संजीवनी साबित हो सकता है या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन जनता दल यूनाइटेड की यह सक्रियता यह साफ़ संकेत देती है कि वह एक बार फिर से महिला और दलित मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुकी हैं।