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Bihar vidhansabha election 2025: महिला और दलित वोट से 2025 की जंग जीतने की तैयारी में नीतीश कुमार?...जानिए क्या है जदयू का 'D-M' मास्टरप्लान!

Bihar vidhansabha election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से सियासी मैदान में पूरी ताकत झोंक दी है। इस बार उनकी रणनीति का केंद्र है "D-M फॉर्मूला",दलित और महिला वोटर्स पर फोकस है।

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18-Apr-2025 01:54 PM

By First Bihar

Bihar vidhansabha election 2025: बिहार की सियासत में दो दशकों से सत्ता का केंद्र रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब एक बार फिर से चुनावी रणभूमि में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुट गए हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू ने "D-M फॉर्मूला" (दलित और महिला वोट बैंक) के जरिए दो सबसे मजबूत सामाजिक वर्गों को साधने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है।


महिलाओं को साधने की रणनीति, ‘महिला संवाद’ की शुरुआत

नीतीश कुमार शुक्रवार को पटना से ‘महिला संवाद’ अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम पूरे दो महीनों तक चलेगा, जिसमें राज्य के 70 हजार से अधिक स्थानों पर बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य करीब 2 करोड़ महिलाओं तक सीधा पहुंच बनाना है।आपको बता दे कि इस संवाद में जीविका दीदियां, रसोइया, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका जैसे वर्गों से सीधा संपर्क कर सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में चलाई गई योजनाएं जैसे महिला आरक्षण, शराबबंदी, दहेज उन्मूलन, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, छात्रा पोशाक योजना को विस्तार से लोगों को खास कर महिलाओं को समझाएगी| माना जा रहा है कि ये रणनीति तेजस्वी यादव के 'माई बहिन मान योजना' को काउंटर करने के लिए तैयार किया गया है , जिससे महिला वोटरों को अपने पाले में बनाए रखा जा सके।


दलित वोटों के लिए ‘भीम संवाद’ और ‘भीम महाकुंभ’

बिहार में 18% दलित वोटर्स किसी भी पार्टी के लिए सत्ता की कुंजी साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि नीतीश कुमार ने ‘भीम संसद’, ‘भीम संवाद’ जैसे कार्यक्रमों के बाद अब ‘भीम महाकुंभ’ की योजना बनाई है।हाल ही में 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर नीतीश ने आंबेडकर समग्र योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। जेडीयू इन आयोजनों के माध्यम से यह बताना चाहती है कि नीतीश सरकार ने दलित समाज के लिए क्या किया है और आगे क्या करेगी।


नीतीश के सामने चुनावी चुनौती

हालांकि नीतीश एनडीए के सीएम फेस बने हुए हैं, लेकिन उन्हें बीजेपी नेताओं के बयानों से लेकर आरजेडी, कांग्रेस और प्रशांत किशोर जैसे विरोधियों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। तेजस्वी यादव युवाओं और महिलाओं को जोड़ने की कवायद में लगे हैं, वहीं कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलते हुए राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष और सुशील पासी को सह-प्रभारी बना दिया है।


 डी-एम फॉर्मूला कितना प्रभावी?

बिहार पॉलिटिक्स को समझने वाले लोग कहते हैं कि 2005 से लेकर 2020 तक, नीतीश कुमार ने महिलाओं और दलितों ,खासकर अति पिछड़ी जातियों  के वोट बैंक समर्थन से लगातार सत्ता में वापसी की है। लेकिन 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू कमजोर हुई थी और उन्हें बीजेपी के सहयोग से सरकार बनानी पड़ी थी। अब 2025 में वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।


डी-एम फॉर्मूला उनके लिए चुनावी संजीवनी साबित हो सकता है या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन जनता दल यूनाइटेड की यह सक्रियता यह साफ़ संकेत देती है कि वह एक बार फिर से महिला और दलित मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुकी  हैं।