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18-Nov-2025 09:43 AM
By First Bihar
Bihar Politics : बिहार में सियासी हलचल थमने का नाम नहीं ले रही है। चुनावी नतीजों के बाद सत्ता समीकरण को लेकर जदयू और भाजपा दोनों खेमों में गहरी हलचल तेज हो गई है। एक तरफ जदयू के दो वरिष्ठ नेता दिल्ली जाकर शपथ ग्रहण की रूपरेखा तय कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ भाजपा के एक बड़े नेता को मातृ संगठन के दफ्तर में 2–3 घंटे तक बुलाकर चर्चा की जाती है। इन बैठकों और देर रात दिल्ली दरबार की सक्रियता ने बिहार की राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर ऐसा कौन-सा निर्देश जारी हुआ जिसके बाद JDU के दो बड़े नेताओं को स्पेशल चार्टर प्लेन भेजकर दिल्ली बुलाना पड़ा।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार ने सोमवार को अपनी कैबिनेट भंग कर दी। इसके बाद वे राज्यपाल से मिलने पहुंचे, लेकिन उन्होंने तत्काल इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने 19 तारीख का समय तय करते हुए कहा कि वे उसी दिन औपचारिक रूप से इस्तीफा देंगे और उसी दिन नई सरकार के गठन की प्रक्रिया भी आगे बढ़ाई जाएगी। इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई कि आखिर नीतीश कुमार ने 19 तारीख ही क्यों चुनी और यह देरी किस रणनीति का हिस्सा है।
यही वह समय था जब भाजपा का मातृ संगठन सक्रिय हुआ। भाजपा के इस संगठन ने अपने एक वरिष्ठ और पुराने स्वयंसेवक नेता को कार्यालय में तलब किया। यहां लगभग तीन घंटे तक बातचीत चली, जिसमें बिहार के मौजूदा राजनीतिक हालात, नंबर गेम और कैबिनेट संरचना से जुड़े कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। सूत्र बताते हैं कि इसी बैठक में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी, जिनमें विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी किसके पास जाएगी और डिप्टी सीएम पद के लिए भाजपा किस चेहरे को आगे रखना चाहती है—ये फैसले भी शामिल हैं।
इस बैठक के बाद मातृ संगठन की ओर से दिल्ली दरबार को फोन किया गया और बिहार को लेकर कुछ अहम निर्देश भेजे गए। निर्देश मिलते ही देर रात दिल्ली से संदेश आया कि जदयू के दो वरिष्ठ नेताओं को तुरंत बुलाया जाए। इसके बाद स्पेशल चार्टर प्लेन भेजकर दोनों नेताओं को दिल्ली लाया गया, जिससे साफ है कि मामला बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण है।
आज सुबह इन नेताओं की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बैठक निर्धारित है। बताया जा रहा है कि बैठक में वही फॉर्मूला रखा जाएगा जिसे मातृ संगठन ने तैयार किया है। इन प्रस्तावों पर जदयू नेताओं की सहमति ली जाएगी और अगर सब कुछ ठीक रहा तो आज ही बिहार में नई कैबिनेट का स्वरूप लगभग तय हो जाएगा।
दिल्ली में होने वाली इन बैठकों का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि भाजपा का मातृ संगठन आम तौर पर सरकारी या राजनीतिक फैसलों में सीधी दखल नहीं देता। लेकिन जब स्थिति जटिल हो या किसी प्रमुख नेता को मार्गदर्शन की आवश्यकता महसूस हो, तो यह संगठन सक्रिय होकर दिशा निर्देश देता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है—बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरण, नीतीश कुमार का अलग व्यवहार और NDA गठबंधन में संतुलन बनाने की चुनौती ने स्थिति को पेचीदा बना दिया है।
कुल मिलाकर बिहार में सत्ता की नई पटकथा दिल्ली में लिखी जा रही है। स्पीकर की कुर्सी, उपमुख्यमंत्री का चेहरा, कैबिनेट में JDU–BJP का संतुलन—इन सभी बिंदुओं पर आज फैसला होने की संभावना है। सुबह से दिल्ली में होने वाली बैठकों पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। आने वाले 48 घंटे बिहार की राजनीति की दिशा और दशा तय करेंगे।