बिहार का दूसरा 'टारजन' दिलबर खान: 1 किलो दाल, 5 लीटर दूध और 50 रोटियों की खुराक से कर रहा हैरान करने वाले स्टंट बिहार पंचायत चुनाव 2026: आरक्षण और निर्वाचन प्रक्रिया पर निर्वाचन आयोग ने दी स्पष्ट जानकारी एक सिपाही ऐसा भी: घायल को कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया, लोगों के साथ-साथ पुलिस कप्तान ने भी की तारीफ Indian Railways New Rule : रेलवे ने बदला रिजर्वेशन चार्ट का नियम, अब टिकट स्टेटस मिलेगा 10 घंटे पहले IAS Removal Process: कैसे पद से हटाए जाते है IAS अधिकारी, संतोष वर्मा मामले से जानिए पूरी डिटेल Bihar News: अदना सा JE के पास आय से 1.46 करोड़ की अधिक संपत्ति, निगरानी टीम भ्रष्ट अभियंता के ठिकानों पर कर रही छापेमारी vigilance bureau bihar : 5,000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ ASI, निगरानी ब्यूरो की बड़ी कार्रवाई Oscar Shortlist Homebound: ऑस्कर 2026 के लिए शॉर्टलिस्ट हुआ 'होमबाउंड', करण जौहर के लिए गर्व का पल Bihar IPL Cricketers: बिहार के क्रिकेटरों की धाक! IPL में ईशान किशन से लेकर वैभव सूर्यवंशी तक; यहां देखें पूरी लिस्ट IIMC Vacancy: भारतीय जन संचार संस्थान में नौकरी पाने का मिल रहा सुनहरा अवसर, योग्य अभ्यर्थी समय रहते करें आवेदन..
23-Jul-2025 05:29 PM
By First Bihar
DELHI: दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के केस-मुकदमे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में पुलिस केस करने वाली महिला के पति या ससुरालवालों को तत्काल गिरफ्तार न करे. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों को लेकर कई अहम दिशा निर्देश भी दिये हैं.
दो महीने तक गिरफ्तारी नहीं
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के मामलों को लेकर ये फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो साल पहले ही अपना फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट का वह फैसला सही है औऱ उसे पूरे देश में अपनाया जाना चाहिये.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता(IPC) की धारा 498A के तहत दर्ज मामलों में पुलिस आरोपियों को दो महीने तक गिरफ्तार न करे. कोर्ट ने कहा कि जब कोई महिला अपने ससुराल वालों के खिलाफ 498A के तहत घरेलू हिंसा या दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराए तो पुलिस वाले उसके पति या उसके रिश्तेदारों को दो महीने तक गिरफ्तार न करे. कोर्ट ने दो महीने की अवधि को शांति अवधि कहा है.
महिला आईपीएस अधिकारी को कहा- माफी मांगो
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला IPS अधिकारी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया है. महिला आईपीएस अधिकारी ने अपने पति औऱ ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. कोर्ट ने उन आरोपों को गलत मानते हुए उस महिला अधिकारी को उससे अलग हुए पति और उसके रिश्तेदारों के उत्पीड़न के लिए अखबारों में माफीनामा प्रकाशित कर माफी मांगने का भी आदेश दिया है.
दो माह तक पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी
दरअसल 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के मामलों को लेकर आदेश जारी किया था. इसके मुताबिक, अगर घरेलू हिंसा और देहज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज हो तो पुलिस को दो महीने तक पति या पति के परिवार वालों की गिरफ्तारी नहीं करने का आदेश दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि था कि केस दर्ज होने के बाद 2 महीने का समय ‘शांति अवधि’ होगी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत दर्ज मामलों को पहले उस जिले की परिवार कल्याण समिति (FWC) को निपटारे के लिए भेजा जाना चाहिए. परिवार कल्याण समिति को इस विवाद को सुलझाने के लिए दो महीने का समय दिया जाना चाहिये और इस दौरान यानी पहले के दो महीनों तक पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में लागू करने को कहा
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलवार को इन दिशानिर्देशों को पूरे भारत में लागू करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने ने अपने आदेश में कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 13 जून 2022 को क्रिमिनल रिवीजन नंबर 1126/2022 के विवादित फैसले में अनुच्छेद 32 से 38 के तहत 'आईपीसी की धारा 498ए के दुरुपयोग से बचाव के लिए परिवार कल्याण समितियों के गठन' के संबंध में तैयार किए गए दिशानिर्देश प्रभावी रहेंगे और अधिकारियों द्वारा लागू किए जाएंगे."
सुप्रीम कोर्ट ने पहले कर दिया था निरस्त
इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी यह दिशानिर्देश 2017 में राजेश शर्मा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए फैसले पर आधारित हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2018 में सोशल एक्शन फॉर मानव अधिकार बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इसे संशोधित कर दिया था बल्कि इसे निरस्त भी कर दिया था. इस वजह से FWC निष्क्रिय हो गए थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के नये फैसले के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के दिशानिर्देश पूरे देश में लागू हो गए हैं.
FWC को भेजा जाएगा मामला
कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्राथमिकी या शिकायत दर्ज होने के बाद, "शांति अवधि" (जो कि प्राथमिकी या शिकायत दर्ज होने के दो महीने बाद तक है) समाप्त हुए बिना, नामजद अभियुक्तों की कोई गिरफ्तारी या पुलिस कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस "शांति अवधि" के दौरान, पुलिस के समक्ष दर्ज मामला तुरंत उस जिले में FWC को भेजा जाएगा. कोर्ट ने कहा है कि केवल वही मामले FWC को भेजे जाएँगे, जिनमें IPC की धारा 498-A के साथ-साथ, कोई क्षति न पहुँचाने वाली धारा 307 और IPC की अन्य धाराएँ शामिल हैं और जिनमें कारावास 10 वर्ष से कम है.