पटना में नगर निगम की लापरवाही से खुला मेनहोल बना जानलेवा, नाले में गिरा बच्चा पहली उड़ान बनी आखिरी सफर, सऊदी नौकरी पर निकले युवक ने फ्लाइट में दम तोड़ा, विदेश में नौकरी का सपना रह गया अधूरा जमुई में नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, जंगल से 24 सिलेंडर बम बरामद भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग पर भीषण सड़क हादसा, महिला की मौत, 6 की हालत गंभीर Patna News: पटना एयरपोर्ट के लिए जारी हुआ नया आदेश, उल्लंघन किया तो होगी कड़ी कार्रवाई बेगूसराय में टला बड़ा हादसा: चलती ट्रेन के इंजन में लगी आग, यात्रियों ने कूदकर बचायी अपनी जान गांधी सेतु पर ट्रक और पिलर के बीच फंसा बाइक सवार, ट्रैफिक पुलिस ने किया रेस्क्यू AI in election: AI की चालबाज़ी से उलझे बिहार के वोटर! फर्जी कॉल्स-Deepfake से फैला भ्रम, अब चुनाव आयोग कसेगा शिकंजा! प्यार के लिए लड़का बना लड़की, अब पति किन्नर से शादी की जिद पर अड़ा Bihar politics : तेजस्वी ने किया 'महिला संवाद' पर हमला, जदयू का पलटवार...क्या महिलाओं की तरक्की से डरते हैं नेता प्रतिपक्ष?
02-Mar-2025 08:52 AM
बिहार के छपरा की सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों को देखकर छोटी बच्ची तैबा अफरोज अक्सर अपने पिता से पूछती थी, "पापा, ये कारें और बसें कैसे चलती हैं? मुझे भी इन्हें चलाना है।" बचपन की यही जिज्ञासा और हिम्मत आज ऐतिहासिक उपलब्धि में बदल गई है। वही तैबा, जो कभी अपनी साइकिल के हैंडल को प्लेन का कॉकपिट समझने का सपना देखती थी, आज हकीकत में हवाई जहाज उड़ा रही है।
गरीब परिवार में जन्मी तैबा की राह आसान नहीं थी। कोरोना महामारी के दौरान पिता की राशन की दुकान बंद हो गई, आर्थिक स्थिति खराब हो गई, लेकिन मां ने बेटी की पढ़ाई रोकने की बजाय उसे पंख देने का फैसला किया। उन्होंने अपनी जमीन बेचकर बेटी को पायलट बनाने का फैसला किया। समाज के ताने और मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी मां कहती हैं, "लोग जमीन बेचकर अपनी बेटियों की शादी करते हैं, मैंने जमीन बेचकर अपनी बेटी को पढ़ाया।" कड़ी मेहनत और संघर्ष का सफर
2020 में ताइबा ने सरकारी विमानन प्रशिक्षण संस्थान, भुवनेश्वर (ओडिशा) से अपनी ट्रेनिंग पूरी की। पायलट बनने के लिए 200 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग अनिवार्य है, जिसमें से ताइबा ने 100 घंटे अकेले ही विमान उड़ाया। आज वह एक सफल पायलट बन चुकी हैं और लाखों रुपये प्रतिमाह वेतन कमा रही हैं।
पायलट बनने के बाद भी ताइबा को कई बार समाज की पारंपरिक सोच का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने वर्दी में पैंट और शर्ट पहनी तो कुछ लोगों ने आपत्ति जताई। लेकिन ताइबा ने दो टूक जवाब दिया, "अगर मेरी प्रतिभा पायलट बनने के काबिल है तो ड्रेस पर सवाल क्यों? मेरी वर्दी ही मेरी पहचान है।" आज ताइबा अफरोज बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनका सपना है कि जिस विमान को वह उड़ाती हैं, उसमें उनके माता-पिता पहली बार सफर करें और अपनी बेटी की सफलता पर गर्व महसूस करें।
तैयबा अफरोज की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है जो सपने देखने की हिम्मत रखती हैं लेकिन उन्हें साकार करने में सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। तैयबा ने साबित कर दिया है कि अगर मेहनत, लगन और परिवार का साथ हो तो कोई भी आसमान की ऊंचाइयों को छू सकता है।