Bihar News: बिहार में निगरानी विभाग की सख्ती जारी, अब इस जिले में इंजीनियर और लाइनमैन रिश्वत लेते धराए Mokama Murder : 'फेफड़े फट गए और हड्डी टूट गई ...', दुलारचंद यादव हत्याकांड का पोस्टमार्टम कॉपी आया सामने, जानिए घटना के दिन की एक-एक बात Montha Cyclone Bihar: बिहार में ‘मोन्था’ साइक्लोन को लेकर अलर्ट, 19 क्विक रिस्पॉन्स टीम का हुआ गठन Ration Card : 1 नवंबर से राशन कार्ड में बड़ा बदलाव: डिजिटल DBT, पौष्टिक राशन और 8 प्रमुख लाभ New Rules From 1st November: आज से बदल गया यह नियम, आपकी जेब पर पड़ेगा सीधा असर; जानिए पूरी डिटेल Bihar Board : बिहार बोर्ड ने घोषित की इंटर और मैट्रिक सेंट-अप परीक्षा 2026 की तिथियां, मुख्य परीक्षा के लिए अनिवार्य होगी 75% उपस्थिति Bihar Election 2025: वोटिंग के दिन PM मोदी के बिहार आगमन से कितना बदल सकता है समीकरण; इस इलाके में गूंजेगी आवाज तो किसे होगा फायदा? Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ
02-Mar-2025 08:52 AM
By First Bihar
बिहार के छपरा की सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों को देखकर छोटी बच्ची तैबा अफरोज अक्सर अपने पिता से पूछती थी, "पापा, ये कारें और बसें कैसे चलती हैं? मुझे भी इन्हें चलाना है।" बचपन की यही जिज्ञासा और हिम्मत आज ऐतिहासिक उपलब्धि में बदल गई है। वही तैबा, जो कभी अपनी साइकिल के हैंडल को प्लेन का कॉकपिट समझने का सपना देखती थी, आज हकीकत में हवाई जहाज उड़ा रही है।
गरीब परिवार में जन्मी तैबा की राह आसान नहीं थी। कोरोना महामारी के दौरान पिता की राशन की दुकान बंद हो गई, आर्थिक स्थिति खराब हो गई, लेकिन मां ने बेटी की पढ़ाई रोकने की बजाय उसे पंख देने का फैसला किया। उन्होंने अपनी जमीन बेचकर बेटी को पायलट बनाने का फैसला किया। समाज के ताने और मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी मां कहती हैं, "लोग जमीन बेचकर अपनी बेटियों की शादी करते हैं, मैंने जमीन बेचकर अपनी बेटी को पढ़ाया।" कड़ी मेहनत और संघर्ष का सफर
2020 में ताइबा ने सरकारी विमानन प्रशिक्षण संस्थान, भुवनेश्वर (ओडिशा) से अपनी ट्रेनिंग पूरी की। पायलट बनने के लिए 200 घंटे की उड़ान ट्रेनिंग अनिवार्य है, जिसमें से ताइबा ने 100 घंटे अकेले ही विमान उड़ाया। आज वह एक सफल पायलट बन चुकी हैं और लाखों रुपये प्रतिमाह वेतन कमा रही हैं।
पायलट बनने के बाद भी ताइबा को कई बार समाज की पारंपरिक सोच का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने वर्दी में पैंट और शर्ट पहनी तो कुछ लोगों ने आपत्ति जताई। लेकिन ताइबा ने दो टूक जवाब दिया, "अगर मेरी प्रतिभा पायलट बनने के काबिल है तो ड्रेस पर सवाल क्यों? मेरी वर्दी ही मेरी पहचान है।" आज ताइबा अफरोज बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनका सपना है कि जिस विमान को वह उड़ाती हैं, उसमें उनके माता-पिता पहली बार सफर करें और अपनी बेटी की सफलता पर गर्व महसूस करें।
तैयबा अफरोज की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है जो सपने देखने की हिम्मत रखती हैं लेकिन उन्हें साकार करने में सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। तैयबा ने साबित कर दिया है कि अगर मेहनत, लगन और परिवार का साथ हो तो कोई भी आसमान की ऊंचाइयों को छू सकता है।