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13-Apr-2025 04:32 PM
By First Bihar
Success News: बिहार में यंग आईएएस ऑफिसरों की नई पोस्टिंग की लिस्ट जारी हो गई है, जिसमें बिहार की बेटी प्रिया रानी का नाम भी शामिल है, जिसने भारत की कठिन परीक्षा में से एक यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा को दो बार क्रैक किया है। इनकी कहानी आईएएस बनने की कहानी एक प्रेरणा है। अब उन्हें मोतिहारी जिले में सहायक समाहर्ता सहायक दंडाधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है। आइए जानें बिहार की इस प्रतिभाशाली बेटी की संघर्ष और सफलता की कहानी।
प्रिया रानी की शुरुआती जिंदगी और संघर्ष
प्रिया रानी का जन्म बिहार के पटना जिले के फुलवारी शरीफ स्थित कुरकुरी गांव में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई। स्कूलिंग में अव्वल रहने वाली प्रिया रानी ने बाद में इंजीनियरिंग करने का मन बनाया और इसके लिए रांची का रुख किया। उन्होंने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, बेसरा से Electrical Engineering में B.Tech की डिग्री प्राप्त की।
प्राइवेट नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी की
बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद प्रिया का चयन एक प्राइवेट कंपनी में हो गया, जहां वह बेंगलुरु में एक उच्च वेतन वाली नौकरी करने लगीं। हालांकि, उनके दिल में हमेशा कुछ बड़ा करने की इच्छा थी और उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा देने का फैसला लिया। इस बड़े फैसले में उनके पिता ने उन्हें पूरी तरह से समर्थन दिया। प्रिया ने अपने पिता से वादा किया कि वह आईएएस जरूर बनेंगी।
उपलब्धियों और संघर्ष का सफर
प्रिया रानी ने कुल चार बार यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा दी। उनके पहले प्रयास में ही सफलता मिली और उन्होंने 2021 में 284वीं रैंक हासिल की, जिसके बाद उन्हें IDES सर्विस के लिए चुना गया। इसके बाद, उन्होंने फिर से परीक्षा दी और 2023 में उन्हें 69वीं रैंक प्राप्त हुई। रैंक प्राप्त करने के बाद वह IAS कैडर के लिए चुनी गईं और आज भी कार्यरत है।
नई पोस्टिंग
हाल ही में जारी की गई नई आईएएस पोस्टिंग लिस्ट में उन्हें मोतिहारी जिले में सहायक समाहर्ता सहायक दंडाधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है। उनकी यह सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो कठिन संघर्ष और मेहनत से अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। प्रिया रानी का जीवन यह दिखाता है कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित हों और मेहनत करने का जज्बा रखे हों, तो कोई भी मुश्किल रास्ता मुश्किल नहीं होता। उनकी सफलता न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।