ब्रेकिंग न्यूज़

Indian Railways Veg Meal Price: रेलवे यात्रियों के लिए जरूरी खबर, रेल मंत्रालय ने साझा किया वेज मील का मेन्यू, जानिए.. क्या है नई कीमतें Indian Railways Veg Meal Price: रेलवे यात्रियों के लिए जरूरी खबर, रेल मंत्रालय ने साझा किया वेज मील का मेन्यू, जानिए.. क्या है नई कीमतें Bihar News: मुहर्रम को लेकर पूरे बिहार में पुलिस अलर्ट, 13,719 जुलूसों पर रहेगी पैनी नजर; संवेदनशील जिलों में विशेष निगरानी Bihar News: मुहर्रम को लेकर पूरे बिहार में पुलिस अलर्ट, 13,719 जुलूसों पर रहेगी पैनी नजर; संवेदनशील जिलों में विशेष निगरानी Bihar Election 2025: बीजेपी में बुजुर्ग विधायकों के टिकट कटने की तैयारी, कई सीटों पर बदल सकता है समीकरण Bihar Election 2025: बीजेपी में बुजुर्ग विधायकों के टिकट कटने की तैयारी, कई सीटों पर बदल सकता है समीकरण Bihar News: समाजसेवी अजय सिंह की बड़ी पहल, सेमरिया में नित्या लाइब्रेरी को दान की सैकड़ों प्रतियोगी पुस्तकें Bihar News: समाजसेवी अजय सिंह की बड़ी पहल, सेमरिया में नित्या लाइब्रेरी को दान की सैकड़ों प्रतियोगी पुस्तकें Patna News: पटना के बेकाबू कार गंगा नदी में गिरी, बाल-बाल बची पति-पत्नी की जान; वीडियो वायरल Patna News: पटना के बेकाबू कार गंगा नदी में गिरी, बाल-बाल बची पति-पत्नी की जान; वीडियो वायरल

Success Story: चंबल के डाकू के पोते ने कर दिया कमाल, पहले IIT पास की; अब बना IAS अधिकारी

Success Story: कुछ कहानियां केवल प्रेरणा नहीं देतीं, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देती हैं और यह साबित कर दिया है डाकू के पोते कहे जाने वाले चंबल का देव ने IIT और फिलिप्स जैसी नौकरी छोड़कर अपने सपने को सच कर दिखाया है. जानें... सफलता की कहानी.

Success Story

17-May-2025 03:12 PM

By First Bihar

Success Story: कुछ कहानियां केवल प्रेरणा नहीं देतीं, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। ग्वालियर के देव तोमर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एक ऐसा सफर, जो चंबल की घाटियों से शुरू होकर UPSC की प्रतिष्ठित सूची तक पहुंचा।


देव तोमर का जन्म ग्वालियर के एक ऐसे परिवार में हुआ था, जिसकी पृष्ठभूमि संघर्षों से भरी रही है। उनके दादा कभी चंबल क्षेत्र के डकैतों में गिने जाते थे — एक ऐसी पहचान जिसने देव को समाज की आलोचना और तानों का शिकार बना दिया। लोगों ने यहां तक कह दिया कि “डकैत का पोता कुछ नहीं कर पाएगा।” समाज के ताने और आलोचनाओं के बावजूद देव ने यह साबित कर दिया कि किसी की पहचान उसके अतीत से नहीं, उसके कर्मों से बनती है। उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की।


देव ने अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए IIT में दाखिला लिया और फिर नीदरलैंड्स की मशहूर मल्टीनेशनल कंपनी फिलिप्स के मुख्यालय में वैज्ञानिक के तौर पर काम किया। वहां उनकी सालाना सैलरी लगभग 88 लाख रुपये थी — एक ऐसा करियर जो किसी का भी सपना हो सकता है। लेकिन देव का सपना अलग था। उन्होंने इस चमकदार कॉर्पोरेट जीवन को छोड़कर देश सेवा का रास्ता चुना और UPSC की राह पकड़ी।


देव की UPSC यात्रा आसान नहीं रही। उन्होंने कुल 6 प्रयास किए, जिनमें 4 बार मुख्य परीक्षा और 3 बार इंटरव्यू तक पहुंचे। हर बार उन्हें असफलता हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका आत्मविश्वास बना रहा और मेहनत जारी रही। उनके इस संघर्ष ने यह साबित कर दिया कि असफलताएं सफलता की सीढ़ियां होती हैं और सिर्फ मेहनत और समर्पण से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।


2025 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा में देव ने ऑल इंडिया रैंक 629 हासिल की — जो किसी भी आम इंसान के लिए बड़ी बात है, लेकिन देव के लिए यह एक नई पहचान बनाने का प्रतीक बन गई। यह उनकी मेहनत, धैर्य और आत्मबल का प्रमाण है। देव का संघर्ष यह सिखाता है कि व्यक्ति को अपनी क्षमता पर विश्वास रखना चाहिए और कभी भी परिस्थितियों से हार नहीं माननी चाहिए।


देव तोमर की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी बैकग्राउंड आपकी सफलता को तय नहीं करता। असली पहचान आपके प्रयासों से बनती है। देव ने समाज की सोच को बदला, खुद को बदला और अब वो दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं। उनका सफर यह दर्शाता है कि मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से कोई भी सपना साकार हो सकता है, चाहे अतीत जैसा भी हो। उनकी सफलता उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो समाज और परिवार की तंग सोच के कारण अपने सपनों को छोड़ देते हैं।


अब जब देव ने UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की है, तो उनका अगला कदम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का है। उनका लक्ष्य सिर्फ प्रशासनिक सेवा में काम करना नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि वे उन लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें, जो कभी अपने अतीत या हालात के कारण खुद को असमर्थ महसूस करते हैं। देव तोमर का यह संघर्ष और सफलता साबित करता है कि समाज और परिवार की सोच को बदलने के लिए खुद को बदलना सबसे जरूरी है।


देव तोमर की सफलता की कहानी यह सिखाती है कि कोई भी मुश्किल या पिछला इतिहास किसी भी व्यक्ति के सपनों को पूरा करने में रुकावट नहीं डाल सकता। अगर इरादा मजबूत हो, तो हर मंजिल आसान हो जाती है। उनकी यह यात्रा उन लोगों के लिए एक सशक्त संदेश है, जो संघर्षों से गुजरते हुए अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। देव तोमर न केवल अपने परिवार और समाज की सोच को बदलने में सफल हुए हैं, बल्कि वे अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।